8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अफसरशाही पर हाई कोर्ट सख्त, रेरा उप सचिव पर चलेगा अवमानना का केस

MP High Court: मध्य प्रदेश के दो अलग-अलग मामलों में अधिकारियों से नाराज हाई कोर्ट ने दिखाई सख्ती, रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण, रेरा द्वारा बिल्डर के विरुद्ध जारी आरआरसी का निष्पादन नहीं करने का मामला...

2 min read
Google source verification
MP High Court

MP High Court

MP High Court: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने दो अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई में अधिकारियों के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई है। रेरा की आरआरसी के निष्पादन से जुड़ी एक याचिका पर हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के खिलाफ वारंट जारी किया तो वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हाजिर हुए।

मामला रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण, रेरा द्वारा बिल्डर के विरुद्ध जारी आरआरसी का निष्पादन नहीं करने से जुड़ा है। भोपाल निवासी प्रताप भानु सिंह ने याचिका दायर कर बताय था, बिल्डर से 23.26 हजार 10% वार्षिक ब्याज के साथ वसूले जाने की आरआरसी अक्टूबर, 2020 में जारी की गई थी। कलेक्टर भोपाल ने कोर्ट के आदेश के बाद भी आरसीसी का निष्पादन नहीं किया, तो उनके विरुद्ध अवमानना की याचिका दायर की गई थी।

जारी किया जाएगा नोटिस

मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि रेरा ने अपने आदेश में लिखा है कि आरआरसी पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है। इस पर कोर्ट ने रेरा के उप सचिव एचपी वर्मा को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति गुरूवार को पेश करने का आदेश दिया। बेंच ने कहा कि ऐसा नहीं करने पर अवमानना का नोटिस जारी किया जाएगा।

10 साल से जवाब नहीं

हाईकोर्ट ने भू-अधिग्रहण से जुड़े मामले में 10 साल बाद भी जवाब पेश नहीं करने पर राज्य सरकार पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने जुर्माना राशि के साथ जवाब पेश करने के लिए दो सप्ताह की मोहलत दी। सरकार यह राशि दोषी अधिकारी से वसूलेगी।

याचिकाकर्ता शहडोल निवासी श्यामलाल काछी सहित अन्य की ओर से 2015 में याचिका दायर की गई थी। राज्य शासन ने याचिकाकर्ताओं की जमीन अधिग्रहीत की थी, लेकिन मुआवजा नहीं दिया। वर्ष 2016 में हाईकोर्ट ने जल संसाधान विभाग, बाणसागर प्रोजेक्ट रीवा और अधिग्रहण अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इसके बाद दर्जनों बार मामला सुनवाई के लिए लगा, लेकिन शासन की ओर से जवाब पेश नहीं किया गया। इस रवैये को आड़े हाथों लेकर हाई कोर्ट ने जुर्माना अधिरोपित करते हुए जवाब के लिए मोहलत दे दी है।

ये भी पढ़ें: घर वाले कर रहे थे अंतिम संस्कार की तैयारी, अचानक लौट आई सांसें

ये भी पढ़ें: एमपी के 7.50 लाख कर्मचारियों को झटका, 1 अप्रेल से मिलेगा भत्तों का लाभ