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जबलपुर। ट्रिपल आइटी डीएम के एक छात्र को अनुशासनहीनता के मामले में संस्थान की ओर से निलम्बित किए जाने पर हाईकोर्ट ने कोई राहत नहीं दी। छात्र के कॅरियर की दुहाई पर हाई कोर्ट ने कहा कि मेधावी होने से अनुशासनहीन व्यवहार की छूट नहीं नहीं मिल जाती है। संस्थान का अनुशासन सर्वोपरि है और उसके आलोक में ट्रिपल आइटी डीएम संस्थान के एक सेमेस्टर के निलम्बन के आदेश पर किसी तरह के हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।
दरअसल, ट्रिपल आइटी डीएम के एक छात्र को दिसम्बर 2023 में सहपाठी छात्रा से दुव्र्यवहार करने और डराने-धमकाने के आरोप में संस्थान की कमेटी की सिफारिश पर एक सेमेस्टर के लिए निलम्बित कर दिया गया। उसे हॉस्टल से बाहर करते हुए सेमेस्टर के शैक्षणिक सत्र में भाग लेने पर रोक लगा दी। इस आदेश को चुनौती देते हुए छात्र ने हाई कोर्ट ने याचिका दायर की।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए रेखांकित किया कि किसी भी छात्र को शैक्षणिक संस्थानों के माहौल को प्रदूषित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। पीठ ने यह भी अनुमान लगाया कि आइआइआइटी-डीएम (जबलपुर) की सीनेट की छात्र सलाहकार समिति (एसएसीएस) ने याचिकाकर्ता को एक सेमेस्टर के लिए निलम्बित करते हुए उचित रूप से कहा है कि उसके कृत्य ने अन्य महिला छात्राओं में मनोवैज्ञानिक भय पैदा किया है।
पीठ ने कहा कि एक छात्र होने के नाते याचिकाकर्ता को सभी नियमों और शर्तों का पालन करना होगा और संस्थान में अनुशासन बनाए रखने की उम्मीद की जाएगी, किसी संस्थान के लिए एक छात्र द्वारा सर्वोपरि विचार प्राथमिकता के आधार पर अनुशासन बनाए रखना है। यदि छात्र अनुशासनहीन गतिविधियों में शामिल पाया जाता है तो आवश्यक परिणाम भुगतने होंगे। इसके साथ ही याचिका को बिना किसी राहत के खारिज कर दिया गया।
Published on:
02 Mar 2024 06:44 pm
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