रंगों का त्योहार
ध्रुव योग में पड़ेगी होली, 22 से होलाष्टक
आठ दिन के लिए शुभकार्य होंगे बंद
होलाष्टक का महत्व
विद्वानों के अनुसार होलाष्टक की अवधि भक्ति की शक्ति का प्रभाव बताती है। इस अवधि में तप करना ही अच्छा रहता है। होलाष्टक शुरू होने पर एक पेड़ की शाखा काट कर उसे जमीन पर लगाते हैं। इसमें रंग-बिरंगे कपड़ों के टुकड़े बांध देते हैं। इसे भक्त प्रह्लाद का प्रतीक माना जाता है। जिस क्षेत्र में होलिका दहन के लिए एक पेड़ की शाखा काट कर उसे जमीन पर लगाते हैं, उस क्षेत्र में होलिका दहन तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता।
होलाष्टक के दौरान नहीं करें ये काम
पंडित जनार्दन शुक्ला ने बताया कि सनातन धर्म की परम्परा के तहत होलाष्टक में 8 दिन तक मांगलिक कार्यों की मनाही होती है। मान्यता है कि इस दौरान शादी-विवाह, भूमि पूजन, गृह प्रवेश, मांगलिक कार्य, नया व्यवसाय या नया काम शुरू करने से बचना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, होलाष्टक शुरू होने के साथ ही 16 संस्कार जैसे नामकरण संस्कार, जनेऊ संस्कार, गृह प्रवेश, विवाह संस्कार जैसे शुभ कार्यों पर भी रोक लग जाती है। किसी भी प्रकार का हवन, यज्ञ कर्म भी इन दिनों में नहीं किया जाता है। इसके अलावा नव विवाहिताओं को इन दिनों में मायके में रहने की सलाह दी जाती है।