मप्र के कूनों अभयारण में 24 गांवों की शिफ्टिंग प्रक्रिया चल रही थी। इस प्रोजेक्ट में तत्कालीन डीएफओ जेएस चौहान के साथ मैं सर्वे कर रहा था। फरवरी 2003 में एक रात कर्मचारी ने सूचना दी कि भालू ने एक व्यक्ति को जख्मी कर दिया है। रात नौ बजे मैंने जिप्सी स्टार्ट की और मौके पर पहुंचा। पता चला कि व्यक्ति बेर एकत्र कर रहा था और उसी समय भालू आ गया। उसने माचिस जलाई, लेकिन भालू पीछे नहीं हटा। पेड़ पर चढऩे की कोशिश की तो भालू ने दाहिने पुट्ठा को जख्मी कर दिया। वह गिरा और हिम्मत जुटाकर फिर माचिस जलाई तो भालू चला गया। गहरा जख्म था और खून तेजी से बह रहा था। मैंने दूसरे साथी से कहा कि घाव में रूई भरकर पट्टी बांधों। उसे बेहोश करना जरूरी था, वर्ना दर्द से दम तोड़ देता। मैंने देसी दारू मंगाई, जो आसानी से मिल गई। उसे खूब पिला दिया। रात भर वह सोता रहा और भोर में जिप्सी से हॉस्पिटल भेज दिया। वहां उसे नई जिंदगी मिल गई।