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जुलाई में गायब मानसूनी बादल, चुभ रही धूप

शहर में मौसम का मिजाज बदलते ही पारा तीन डिग्री तक उछला

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hot weather condition in rajasthan

जबलपुर
मानसून की बेरुखी से जबलपुर वासी परेशान है। जून के बाद जुलाई माह भी बीत रहा है परंतु अब तक यहां औसत बारिश भी नहीं हुई। भीषण गर्मी का आलम यह है कि धूप चुभन पैदा कर रही है और उमस से जनजीवन अस्त-व्यसत है। धान की फसल लगाने वाले किसान आसमान की तरफ देख रहे हैं परंतु मानसूनी बादल गायब है।
मौसम विभाग ने जबलपर संभाग के कुछ हिस्सों में अगले 24 घंटों के दौरान तेज बारिश का पूर्वानुमान जताया था परंतु गुरुवार को बरसने वाले बादलों की खेप शुक्रवार को सुबह तक मंडराने के बाद गायब हो गई। आसमान से बादलों का डेरा हटते ही दोपहर में धूप निकल आयी। मौसम के बदले मिजाज के बीच पारा करीब तीन डिग्री तक उछला। बारिश के लिए तरस रहे शहर में पूरे दिन बूंदबांदी तक नहीं होने से शाम तक उमस बढऩे लगी। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो वर्षा के लिए सिस्टम अनुकूल है। हवा का साथ नहीं मिलने से बादल सक्रिय नहीं हुए। धीमी गति से हवा चलने के कारण उसम से राहत नहीं मिली। चिपचिपी गर्मी ने बेचैन किया। लगातार बादलों के धोखा देने से इस सीजन में औसत से कम बारिश चिंता का सबब बनी हुई है।
- तापमान में आया उछाल
बादलों के छंटने से शुक्रवार को पारा चढ़ा। अधारताल स्थित मौसम विज्ञान केन्द्र के अनुसार गुरुवार को अधिकतम तापमान 29.6 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 24.0 डिग्री सेल्सियस था। यह सामान्य के बराबर था। शुक्रवार को तीन डिग्री की वृद्धि के साथ अधिकतम तापमान 32.7 डिग्री सी हो गया। यह सामान्य से तीन डिग्री ज्यादा बना रहा। न्यूनतम तापमान सामान्य से एक डिग्री ज्यादा 23.5 डिग्री सेल्सियस रेकॉर्ड हुआ। आद्र्रता सुबह के समय 83 प्रतिशत और शाम को 62 प्रतिशत थीं। दक्षिण-पूर्वी हवा 3 किमी प्रतिघंटा की गति से चली।
ट्रफ लाइन से उम्मीद
मौसम विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों के अनुसार बीकानेर, सीकर, ग्वालियर, वाराणसी, पटना होते हुए बंगाल की खाड़ी में समुद्र तल से डेढ़ किमी की ऊंचाई तक ट्रफ लाइन बनी हुई है। दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। इसके प्रभाव से ही बारिश की सम्भावना है। शनिवार को सम्भाग के जिलों में अनेक स्थानों पर वर्षा या गरज-चमक के साथ बौछार पडऩे का अनुमान है। इसके अतिरिक्त पूर्व मध्य अरब सागर में उत्तरी केरल-कर्नाटक तट पर एक चक्रवात बना हुआ है। पश्चिमी विक्षोभ का भी प्रभाव आ रहा है।