
MP Highcourt
जबलपुर। जिला उपभोक्ता फोरम ने एक अहम आदेश में अभिनिर्धारित किया कि पॉलिसी लेने के एक साल बाद धारक के आत्महत्या करने की दशा में बीमा कंपनी को बीमा दावा की राशि अदा करना होगी। इस मत के साथ फोरम ने रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस कंपनी को आदेश दिया कि वह दावाकर्ता को क्लेम की राशि का भुगतान करे। परिवादी को हुई मानसिक पीड़ा की क्षतिपूर्ति के 5 हजार व मुकदमे का खर्च 2 हजार रुपए भी उसे प्रदान करने के लिए कंंपनी को कहा गया। इसके लिए एक माह की समय-सीमा दी गई।
यह है मामला- ग्राम सुनवारा थाना चरगवां तहसील शहपुरा जिला जबलपुर निवासी बब्लू दादे जैन (40 वर्ष) की ओर से दायर परिवाद में कहा गया कि उसके भाई आशीष कुमार जैन की पानी में डूबकर मृत्यु हो गई थी। मृत्यु बीमा पॉलिसी की अवधि में हुई थी, इसलिए कंपनी के समक्ष दावा पेश किया गया। लेकिन बीमा कंपनी ने क्लेम निरस्त कर दिया।
पुन: प्रवर्तन व पालिसी लेने का विवाद- कंपनी ने कहा कि आवेदक के भाई ने पॉलिसी पुन: प्रवर्तन के 12 माह की अवधि के भीतर आत्महत्या की थी, इसलिए पॉलिसी की शर्तों के तहत कोई क्लेम नहीं बनता। अधिवक्ता अरुण जैन, विक्रम जैन ने तर्क दिया कि बीमा कंपनी 12 माह की अवधि की गणना पुन: प्रवर्तन की तिथि से कर रही थी, जबकि आवेदक मूल पॉलिसी लेने की तारीख से गणना पर बल दे रहा था।
नई शर्तां का सृजन नहीं- अधिवक्ताद्वय ने लाइफ इंश्योरेंस कापोरेशन ऑफ इंडिया विरुद्ध मास्टर एके त्रिपाठी के मामले में हुए आदेश का हवाला दिया। जिसमें साफ किया गया था कि बीमा पॉलसी पुन: प्रवर्तन होने पर नई शर्तों का सृजन नहीं होता। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि पॉलिसी जारी होने के एक वर्ष की अवधि के भीतर आवेदक के भाई की मृत्यु नहीं हुई थी, इसलिए क्लेम का भुगतान किया जाए।
Published on:
08 Jan 2019 07:07 am
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