स्मार्ट सिटी की हकीकत उजागर: करोड़ों रुपए खर्च करने बाद भी बताने लायक कुछ नहीं बना पाए
स्मार्ट सिटी की हकीकत उजागर: करोड़ों रुपए खर्च करने बाद भी बताने लायक कुछ नहीं बना पाए

जबलपुर। कन्वेंशन सेंटर अधूरा है, राइट टाउन स्टेडियम के पूरा होने का इंतजार है, स्मार्ट सडक़ें बन नहीं पा रही हैं। पीपीपी मोड पर मदनमहल पहाड़ी से संग्राम सागर तक रोपवे स्थापित करने के लिए कोई निवेशक आगे नहीं आया। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को पांच साल बीत गए लेकिन शहर परफॉरमेंस बताने की स्थिति में नहीं है। यही वजह है की अब तक हुए विकास कार्य, अधूरे प्रोजेक्ट, टेंडर प्रक्रिया, फं ड के उपयोग को लेकर जारी स्मार्ट सिटी की रैंकिंग में जबलपुर 46वें पायदान पर है। जबकि प्रदेश के ही दो शहर टॉप टेन में शामिल हैं। भोपाल पहले पायदान पर तो इंदौर सातवें नंबर पर है।
रैंकिंग में जबलपुर 46वें पायदान पर
पांच साल में सिर्फ दावे करते रहे, शहर में एक प्रोजेक्ट भी बताने लायक नहीं बना
प्रदेश से भोपाल पहले तो इंदौर सातवें स्थान पर
नहीं दिखता समन्वय
जानकारोंं के अनुसार शहर में स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट्स के गति नहीं पकडऩे का कारण विभागों में समन्वय की कमी है। ज्यादातर स्मार्ट सडक़ के निर्माण में देरी का बड़ा कारण सीवर लाइन बिछाने से लेकर, अतिक्रमण हटाने, बिजली के पोल की शिफ्टिंग नहीं हो पाना है। ये क ाम नगर निगम और बिजली विभाग को करने हैं। राइट टाउन, गोल बाजार, जीसीएफ, घमापुर इलाकों में ये काम उस गति से नहीं हो पा रहे हैं।
पैसों की कमी है बड़ा कारण
खर्च कम होना बड़ा कारण है, जबलपुर अभी उतनी राशि खर्च नहीं कर पाया है। पीपीपी मोड के प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पाए हैं। इसके साथ ही प्रोजेक्ट की साइट खाली नहीं होना व निर्माण साइट पर अतिक्रमण जैसे कारण हैं। प्रोजेक्ट्स को गति दे रहे हैं, जैसे ही कुछ बड़े प्रोजेक्ट पूरे होंगे, रैंकिं ग सुधरेगी।
- आशीष पाठक, सीईओ, स्मार्ट सिटी
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