
परिवहन विभाग की जांच में खुली स्कूल बसों की पोल
जबलपुर। अभिभावकों को कहीं से भी निजात नहीं मिल पा रही है। पेट्रोल डीजल की आड़ लेकर स्कूल बसों के किराया में चालीस फीसदी तक वृद्धि कर दी गई है। पहले से ही शिक्षा माफियाओं की कमीशनखोरी से परेशान अभिभावकों को अब स्कूल बस, स्कूल ऑटो,स्कूल वेन के मनमाने किराए से जूझना पड़ रहा है। मनमाने तरीेके से वसूल रहे किराये की जांच करने और मनमानियों पर अंकुश लगाने वाले जिम्मेदारों को भी अभिभवकों की परेशानियों से कोई लेना देना नहीं है।
जिले में किराए का नहीं है कोई निर्धारण
जानकारों के अनुसार बच्चों को लाने ले जाने से जुड़े स्कूल वाहनों के किराए को लेकर कोई मापदंड निर्धारित नहीं है। न तो जिला प्रशासन न ही आरटीओ द्वारा इस संबंध में कोई फौरी कार्रवाई की गई। क्योंकि किराए के इस घालमेल में अफसर भी जुड़े हुए हैं। वाहन संचालकों द्वारा अनाप शनाप किराया वसूला जा रहा है। महंगाई और डीजल पेट्रोल के दामों का हवाला देते हुए प्राइवेट स्कूलों की ओर से 600 रुपये से लेकर 1200 रुपये तक के किराये की बढ़ोतरी कर दी है। ज्यादातर स्कूलों में पांच किलोमीटर दायरे का वैन का किराया 1200 रुपये था। इसे बढ़ाकर अब 1500 रुपये किया गया है। 10 किलोमीटर दायरे में बस का किराया जहां पहले 1500 से 1800 रुपये महीना था, इसे बढ़ाकर 2200 से 2600 रुपये कर दिया गया है।
अभिभावक अब खुद जा रहे बच्चों को छोडऩे
स्कूलों की बढ़ती कमीशनखोरी, स्कूल वाहन किराया मंहगाई के चलते अब अभिभावकों ने बच्चों को खुद ही स्कूलों तक छोडऩे का निर्णय लिया है। अभिभावक खुद ही बच्चों को बाइक से छोडऩे जाते हैं।
स्कूल वाहनों के लिए कोई भी किराया निधार्रित नहीं है। जिसका फायदा स्कूल संचालक एवं वाहन मालिक उठा रहे हैं। प्रशासन को इसपर ध्यान देना चाहिए।
- अमित सेठ, अभिभावक
स्कूल पहले से ही तानाशाह बने हुए हैं उसपर स्कूल वाहन का मनमाना किराया वसूला जा रहा है। बस बंद करवाकर हम खुद बच्चों को छोडऩे जा रहे हैं।
- सोनिया क्षत्रिय, अभिभावक
प्रशासन एवं जिममेदारों को स्कूल वाहन किराए का निधार्रण करना चाहिए। लेकिन अफसर भ्रष्टाचार में डूूबे हैं, अभिभावक मजबूर हैं।
- सोमेश सिन्हा, अभिभावक
Published on:
13 Apr 2022 10:22 am
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