
shani ka gochar 2023
जबलपुर. ज्योतिष विज्ञान में ग्रहों के अस्त और उदित होने को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मंगलवार को शनि देव स्वराशि कुम्भ में अस्त हो गए। इस ज्योतिषीय घटना को शनि का डूबना भी कहा जाता है। 6 मार्च को शनिदेव का फिर उदय होगा। इस दौरान 36 दिन तक सभी राशियों पर इस घटना का व्यापक प्रभाव पड़ेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार शनि अस्त के कारण जिन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती या ढैया चल रही है, उन्हें इस अवधि में सतर्क रहने की आवश्यकता है।
ग्रहों का गोचर डालेगा कई राशियों पर प्रभाव
वक्री और मार्गी भी होंगे इस वर्ष
ज्योतिषाचार्य जनार्दन शुक्ला ने बताया कि शनिदेव 30 जनवरी की रात 2.41 बजे अर्थात 31 जनवरी को अस्त हो गए। ये 6 मार्च तक इसी अवस्था में रहेंगे। इसके बाद शनिदेव 17 जून को रात 10. 48 बजे वक्री हो जाएंगे। वहीं 4 नवंबर को सुबह 8.26 बजे मार्गी हो जाएंगे।
इस माह होगी सूर्य-शनि की युति
ज्योतिषाचार्य शुक्ला ने बताया कि मौजूदा समय में शनि का भ्रमण घनिष्ठा नक्षत्र में चल रहा है। ग्रहों के नक्षत्र बदलने का प्रभाव भी राशियों पर देखने को मिलता है। शनि अस्त होने के साथ- साथ नक्षत्र भ्रमण करेंगे और थोड़े दिन के बाद शनि शतभिषा नक्षत्र में भ्रमण करने लगेंगे। फरवरी में सूर्य के कुंभ राशि में गोचर करने की वजह से सूर्य और शनि की युति होगी।
शनि और सूर्यदेव दुश्मन ग्रह माने जाते हैं। इनके एक ही राशि में होने से कई राशि के जातकों के जीवन में मुश्किलें और उथल-पुथल पैदा हो सकती है। उन्होंने बताया कि मान्यतानुसार शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए दान का विशेष महत्व है।
इन राशियों पर है शनि की दशा
मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण शुरू हो चुका है। कुम्भ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण शुरू हो चुका है। जबकि मीन राशि पर 17 जनवरी से शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू हो चुका है। इसी तरह कर्क राशि और वृश्चिक राशि पर शनि की ढैया शुरू हो चुकी है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार शनि अस्त होने से इन सभी राशियों के जातकों के जीवन पर असर पड़ेगा।
Published on:
01 Feb 2023 12:47 pm
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