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जबलपुर के इस युवा ने शौक को बनाया कमाई का जरिया, आज करता है अच्छी इनकम

होम गार्डन सर्विस से कर सकते हैं गार्डनिंग शौक पूरा, इनकम का बना सकते हैं जरिया

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startup Home Garden Service

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जबलपुर। गार्डनिंग का शौक सभी को होता है। लोग दो चार गमलों से लेकर घर आंगन में सैकड़ों पेड़ पौधे लगाते हैं। लेकिन अब घर के फूल व फलदार पौधों की केयर के लिए वे अब पारंपरिक माली के बजाए होम गार्डन सर्विस करने वालों को बुलाना पसंद करते हैं। ऐस ही काम जबलपुर में चार साल से नर्सरी चलाने वाले शिवा चौधरी ने शुरू किया है। वे होम गार्डन को न केवल मैंटेन रखते हैं, बल्कि उसकी केयरिंग भी करते हैं। लोगों को उनके घरों के अनुरूप फल, फूल के पौधे सजेस्ट करते हैं बल्कि लगाने से लेकर उन्हें बड़ा करने तक की सर्विस भी देते हैं।

गार्डनिंग के शौकीन शिवा ने शुरू किया गार्डन सर्विसिंग का काम, देते हैं पौधों से संबंधित सभी जानकारी

पहले सीखा फिर शुरू किया
मुझे बचपन से ही फूल पौधों का बहुत शौक था। चार साल पहले मैंने नर्सरी का छोटा सा काम स्टार्ट किया था। लोगों को अच्छी क्वालिटी के पौधे देना मेरा काम था, दो साल पहले जब लोगों ने उन्हें मैंटेन रखने की बात कही तो आइडिया आया कि क्यों न होम गार्डन सर्विस शुरू कर दी जाए। फिर मैंने छोटे स्तर पर इसकी शुरुआत की, यानि कुछ लोगों के होम व टैरिस गार्डन की सर्विस शुरू की। जिसका रिजल्ट अच्छा रहा। अब कई लोगों के घर हर सप्ताह, 15 दिन और 30 दिन में उनके पौधों की देखरेख, दवाओं का छिडक़ाव, फूलों की ग्रोथ व पौधों की हेल्थ अच्छी बनाए रखने का काम करने जाता हूं। इसमें अच्छी इनकम हो जाती है। लॉकडाउन के बाद शहर में और भी युवाओं ने इस तरह का काम शुरू कर दिया है।
- शिवा चौधरी, नर्सरी एवं होम गार्डन सर्विस, जबलपुर

बचपन से ही मुझे पौधों से बहुत लगाव था। मेरे घर के पास नर्सरी थी। वहां लोग पौधे लेने आते थे। उनके कई सवाल होते थे, जो मैं भी सुना करता था। तब मुझे लगा कि प्रकृति से लोगों को जोडऩे के लिए शहर में कुछ करने की जरूरत है। धीरे-धीरे मैंने पौधों की प्रजातियों के बारे में अध्ययन किया और फिर लोगों को वर्कशॉप देने लगा। स्कूल, कॉलेज में स्टूडेंट्स को पौधे लगाने के लिए मोटिवेट किया। वर्कशॉप लगाईं। एग्जीबिशन में बोनसाई और लैंडस्केप की क्लासेस दीं। आज मुझसे सैकड़ों लोग जुड़े हैं, जो मेरे घर प्रशिक्षण लेने आते हैं। 74 साल की उम्र में मैं आज भी लोगों के घर उनके पौधों से रिलेटेड प्रॉब्लम सॉल्व करने पहुंचता हूं। मेरे शहर में कई मेंस पार्लर हैं, लेकिन बात जब पौधों से रिलेटेड आती है तो मैं उसे प्रॉयोर्टी पर रखता हूं। मेरे घर पर 400 पौधे हैं, जिन्हें मैं नियमित सुबह शाम समय देता हूं। मेरे पास कई बोनसाई पौधे हैं, जो 60 साल पुराने तक हैं।
- अरुण राउत, प्रकृतिप्रेमी, ग्वालियर

बाहर से आने वाले पौधे अब यहीं पर विकसित हो रहे हैं
पौधों और फूलों की कई वैराइटी तैयार की जा सकती है। इस दिशा में बड़े पैमाने पर काम चल रहा है। भोपाल की बात करें तो यहां प्रजाति के पौधे पूना और कोलकाता से आते हैं। अब इन्हीं को यहां पर भी विकसित किया जाने लगा है। यह एक सेंटर बनता जा रहा है। नर्सरी शुरू कर पौधों की सप्लाई तक रोजगार के बेहतर अवसर हैं। अच्छी खासी इनकम इससे हो सकती है। यहां बागवानी और पौधों के बारे में जानकारी होना जरूरी है।
- एसएस गदरे, अध्यक्ष मप्र रोज सोसायटी