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बाहर से आने वाले अलमस्त घूम रहे हैं, जांच करने वालों को पता ही नहीं, उधर अंदर ही अंदर रिस रहा संक्रमण !

जबलपुर में पुणे-दिल्ली सहित प्रदेश के अन्य जिलों से आए हजारों लोग, प्रशासन की टीम सूचना के बाद भी नहीं पहुंचती  

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जबलपुर। कोरोना संक्रमण के नए मामलों में जबलपुर शहर में ट्रैवल हिस्ट्री मिल रही है। दूसरे राज्यों और शहरों से आए लोगों में संदिग्ध लक्षण मिल रहे हैं। संक्रमण से बचाव के लिए बाहर से आने वालों को 7-10 दिन क्वारंटीन रखने का नियम है, लेकिन हकीकत में तस्वीर दूसरी है। ई-पास के नियम में ढील से लंबे समय से पुणे, दिल्ली, इंदौर में फंसे विद्यार्थी, प्रोफेशनल्स और श्रमिक घर लौट रहे हैं। इसमें से कई लोग टैक्सी और निजी कारों से लौट रहे हैं। कोरोना संक्रमित इलाकों से आने के बाद घर में रहने के बजाय शहर में घूम रहे हैं। इनके जानकारी छिपाने से संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। वहीं, बाहर से आकर ऑनलाइन जानकारी देने पर भी 5-7 दिन बाद कॉल सेंटर से फोन आ रहा है। बाहरी लोगों की आवाजाही बढऩे के बाद क्वारंटीन में लापरवाही से शहर में कोरोना पर अभी तक कसा शिकंजा ढीला पड़ सकता है।

जाहंगीराबाद में एक घर में तीन दिन पहले दो लोग बाहर से आए हैं। इसमें एक युवक दिल्ली और दूसरा इंदौर से आया है। कार से शहर आए दोनों युवक क्वारंटीन नहीं हुए। वे आने के बाद से घर से बाहर निकलकर घूम रहे हैं। कुछ लोगों ने पुलिस और स्वास्थ्य विभाग को सूचित किया। लेकिन न कोई टीम जांच के लिए आई न उनका घर से बाहर निकलना और घूमना बंद हुआ।

विजय नगर निवासी एक व्यक्ति इटारसी से करीब 10 दिन पहले शहर आया। प्राइवेट टैक्सी से आए व्यक्ति से रास्ते में सिर्फ इटारसी से बाहर निकलने पर सीमा में पास पूछा गया। उसके बाद बरमान होते हुए चरगवां रोड से शहर में प्रवेश करने तक कहीं कोई जांच नहीं हुई। घर आने के बाद ऑनलाइन सूचना दी। करीब एक सप्ताह बाद कॉल सेंटर से फोन करके उन्हें क्वारंटीन रहने के लिए कहा गया।

पास खत्म होने से बढ़ी मुश्किल
पहले प्रदेश के दूसरे जिलों से आने वालों को पास लेना होता था। इसके जरिए प्रशासन तक बाहर से आने वालों का डेटा मिलता रहता था। अब तीन जिलों को छोड़कर प्रदेश के अन्य जिलों के बीच आवाजाही के लिए ई-पास की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। ऐसे में लोग किराए और निजी चार पहिया वाहनों से बड़ी संख्या में शहर लौट रहे हैं। इसमें कुछ लोग ही बाहर से आने की कॉल सेंटर में फोन करके सूचना दर्ज करवा रहे हैं। कुछ लोग चुपचाप घर में बैठ गए हैं। लेकिन जानकारी छिपाने के साथ ही क्वारंटीन नियम नहीं मानने वाले लोगों से संक्रमण फैलने की आशंका बनी हुई है। वहीं, फोन करने पर भी स्वास्थ्य विभाग की टीम के जांच के लिए नहीं पहुंचने से कई लोगों की सैम्पलिंग नहीं हो पा रही है। प्रशासन की ओर से जिले में प्रवेश करने वालों की जांच और रेकॉर्ड तैयार करने का दावा किया जा रहा है। लेकिन यह कार्य मुख्य मार्गों में सीमा पर ही मुस्तैदी से हो रहा है। जिले को दूसरे जिले से जोडऩे वाले ग्रामीण और साइड रोड में निगरानी नहीं है। नरसिंहपुर की ओर से आने वाले कुछ चरगंवा रोड से तिलवारा होते हुए प्रवेश कर रहे हैं। इस दौरान जांच नहीं हो रही है। मंडला और सिवनी जिले से आने वाले कुछ लोग समाधि रोड से प्रवेश कर रहे हैं। पैदल आने वाले मजदूरों का मार्ग निर्धारित नहीं है। प्रशासन की ओर से सर्वे कराकर बाहर से श्रमिकों को रेकॉर्ड जुटाया जा रहा है। लेकिन बड़ी संख्या में दूसरे शहरों से टैक्सी और निजी कारों से प्रवेश कर रहे रहे पढ़े-लिखे लोगों में कुछ के जानकारी छिपाने से इन्हें ढूंढ़कर क्वारंटीन नियमों की पालना कराना प्रशासन के लिए मुश्किल हो रहा है।