पायली में सड़क ही नहीं
सिवनी जिले के घंसौर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले जबलपुर के नजदीकी ग्राम पायली के निवासियों ने 18 जून को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजा था। पत्र में कहा गया था कि गांव में रोजगार का कोई भी साधन नहीं है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गांव में कोई भी काम नहीं कराया गया। यहां तक कि इस योजना के अंतर्गत एक भी मकान गांव में नहीं बना। ग्राम कलकुही से पायली तक सड़क भी आज तक नहीं बनी। जिसके चलते यहां के बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने दिवारी, शिकारा व सूरजपुरा के स्कूलों में जाना पड़ता है। जिसमें उन्हें काफी परेशानी होती है। समग्र स्वच्छता अभियान के तहत गांव में कुछ टॉयलेट्स जरूर बनाए गए हैं, लेकिन वह आधे-अधूरे हैं। इसके चलते गांव में टॉयलेट की भी समस्या है। गांव के लोगों को निस्तार के लिए जंगल या नर्मदा नदी के किनारे जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने पत्र में गुजारिश की थी कि इन सभी असुविधाओं को दूर करने के निर्देश दिए जाएं। मुख्य न्यायाधीश ने 26 जून को पत्र को जनहित याचिका के रूप में दर्ज कर सुनवाई करते हुए प्रमुख सचिव ग्रामीण विकास विभाग, कलेक्टर सिवनी, जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी सिवनी व जनपद पंचायत सिवनी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को अनावेदक बनाकर नोटिस जारी करने के निर्देश दिए थे। इसी मामले में कोर्ट के निर्देश पर कोर्ट मित्र अधिवक्ता दिवाकर ने पायली जाकर वहां के हालात का जायजा लिया। कोर्ट मित्र ने जब पायली की हक़ीक़त से रूबरू कराया तो कोर्ट संजीदा हुई। विगत 27 जुलाई को राज्य सरकार से यह बताने को कहा गया कि जबलपुर के समीप स्थित पायली ग्राम में सड़क आदि निर्माण व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में क्या ताज़ा कदम उठाए?
बरगी हिल्स में निर्माण पर चिंता
नयागांव सोसायटी, जबलपुर के अध्यक्ष रजत भार्गव ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि बरगी हिल्स जबलपुर शहर के सबसे खूबसूरत इलाकों में से एक है। यहां चारो ओर हरियाली है। पर्यावरण के लिहाज से इसका संरक्षण अत्यंत जरूरी है। इसके बावजूद यहां मनमाने तरीके से सेटेलाइट सिटी व आईटी पार्क विकसित करने का कार्य आरम्भ किया गया है। इनके लिए इलाके की बड़ी बड़ी चट्टानों को बारूद के जरिये तोड़ा जा रहा है। यहां होने वाले धमाकों से इलाका दहल जाता है। अधिवक्ता आदित्य संघी ने तर्क दिया कि जबलपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) की योजना क्रमांक12 में बरगी हिल्स को संरक्षित क्षेत्र में शामिल किया है। इसके बावजूद यहां पर्यावरण को जबरदस्त खतरा पैदा हो गया है। इस घोर लापरवाही पर लगाम न लगाई गई तो बरगी हिल्स की जगह कुछ दिनों बाद एक उजड़ा हुआ मैदान शेष रह जाएगा। इससे जबलपुर का मौसम चक्र बुरी तरह प्रभावित होना तय है। उन्होंने तर्क दिया कि सेटेलाइट सिटी और आईटी पार्क विकसित करने के लिए बरगी हिल्स से कुछ दूसरी पर तिलवारा के उस पार इसी तरह की कई एकड़ भूमि खाली पड़ी है। उस पर बेहतर और उपयोगी विकास संभव है। इस मसले पर मसले पर राज्य सरकार की ओर से हाइकोर्ट के समक्ष अपना जवाब पेश कर कहा कि टेक्नोपार्क के निर्माण के लिए सभी आवश्यक अनुमतियां ले ली गई हैं। 2008 से इस प्रोजेक्ट की मंजूरी है। चीफ जस्टिस एके मित्तल की डिवीजन बेंच ने इस जवाब को रिकॉर्ड पर लेकर 1 सितंबर को मामले पर बहस के निर्देश दे दिए।