script2 लाख से ज्यादा किसानों पर संकट के बादल | Two lakh farmers of Jabalpur in crisis due to lack of rain | Patrika News

2 लाख से ज्यादा किसानों पर संकट के बादल

locationजबलपुरPublished: Aug 02, 2020 03:27:25 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-कोरोना और लॉकडाउन के बाद मानसून ने बढ़ाई अन्नादाता की चिंता-बारिश न होने से किसान मायूस-सिंचाई के पर्याप्त साधन न होने से बोआई का रकबा भी घटा

बारिश की बाट जोहता किसान (प्रतीकात्मक फोटो)

बारिश की बाट जोहता किसान (प्रतीकात्मक फोटो)

जबलपुर. कोरोना और लॉकडाउन से पहले से ही किसानों की माली हालत खराब हो चुकी है। अब जो कुछ आस बची थी उस पर भी मौसम की नजर लग गई है। बारिश न होने से किसानों की पेशानी पर बल पड़ गए है। उनकी सोच है कि अगर यही हाल रहा तो हालात और बिगड़ जाएंगे।
अवर्षण के चलते जिले में खरीफ की फसलों की बोआई का रकबा तक घट गया है। जितने रकबे में बोआई हुई भी है वहां भी सिंचाई न होने से फसलें सूखने लगी है। कृषि विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले साल खरीफ फसल दो लाख 14 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बोई गई थी। इस बार बोआई का आंकड़ा एक लाख 96 हजार हेक्टेयर में ही सिमट कर रह गया है, जबकि कृषि विभाग ने इस बार बारिश की अच्छी उम्मींद को लेकर दो लाख 23 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बोआई का लक्ष्य रखा था। लेकिन बारिश न होने से धान की बोआई भी पिछले साल की तुलना में पिछड़ गई। खरीफ सीजन 2019 में जिले में धान की बोआई एक लाख 32 हजार हेक्टेयर में हुई थी जबकि इस साल अब तक एक लाख 25 हजार हेक्टेयर में ही बोआई हो पाई है।
बारिश न होने से खेतों में मुरझा रही फसलों को किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें उभरने लगी हैं। जिनके पास सिंचाई का साधन हैं, वे तो निश्चिंत हैं। लेकिन जो कुदरती बारिश पर निर्भर है उनकी परेशानी बढ़ गई है। किसान यह सोचकर चिंतित हैं कि कोरोना आपदा उनकी आर्थिक स्थिति ही खराब हो चुकी है। यदि फसलें सूख गईं तो परेशानी बढ़ जाएगी। हालांकि कृषि विभाग का कहना है कि फसलों की सिचांई के लिए बरगी दांई और बांई तट से नहरों के जरिए पानी दिया जा रहा है। यदि बारिश नहीं हुई तो जरूर परेशानी खड़ी हो सकती है। जिले में करीब दो लाख 13 हजार किसान हैं।
“पिछले साल के मुकाबले खरीफ सीजन में अभी तक 1 लाख 96 हजार हेक्टेयर में बोआई हुई है। फिलहाल फसलें खराब होने की स्थिति में नहीं है। बरगी नहर से पानी दिया जा रहा है। यदि बारिश नहीं तो परेशानी जरूर बढ़ सकती है।”-एसके निगम,उपसंचालक कृषि, कलेक्टर कार्यालय
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