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ये कैसा आइसोलेशन सिस्टम जिसमें ऑक्सीजन तक का इंतजाम नहीं

locationजबलपुरPublished: Sep 29, 2020 02:19:10 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-चार महीने से बिना इस्तेमाल पड़े हैं ये आइसोलेशन कोच

रेलवे का आइसोलेशन कोच

रेलवे का आइसोलेशन कोच

जबलपुर. ये कैसा आइसोलेशन सिस्टम है, जहां न ऑक्सीनजन है न वेंटिलेटर। इसे तो तैयार किया गया था कि कोरोना के मामले बढ़ते हैं और लोगों को आइसोलेट करने के लिए जगह नहीं मिलती है तो उन्हें इन आइसोलेशन कोच में रखा जाएगा। लेकिन चार महीना बीत गया अब तक इसे पूरी तरह से कोरोना से लड़ने के काबिल ही नहीं बनाया जा सका।
बता दें कि कोरोना संक्रमण के शुरूआती दौर में ही रेलवे ने रेल की बोगियो को आइसोलेशन कोच के रूप में विकसित करने का काम शुरू किया था। इसी कड़ी में जबलपुर रेल मंडल की ओर से भी 46 आइसोलेशन कोच तैयार किए गए थे। इसमें से 24 कोच दिल्ली भेज दिए गए। अभी 22 कोच और जबलपुर में हैं, जिनके लिए अभी तक कोई डिमांड नहीं आई है।
यहां यह भी बताते चलें कि जबलपुर में खड़ी 22 कोच की आइसोलेशन ट्रेन में 19 जनरल कोच हैं, जिन्हें आइसोलेशन कोच में बदला गया है। साथ ही 2 एसएलआर यानि पार्सल कोच हैं। इसके अलावा इसमें 1 एसी कोच भी लगाया गया है, जो मेडिकल स्टॉफ के पास है। इन कोच को जबलपुर रेल अस्पताल के हेंडओवर किया गया है। पिछले 4 माह से यह कोच बंद हैं। सिर्फ खिड़की में पर्दे और सीटों में फेरबदल किया गया है। बाकी किसी कोच में भी आक्सीजन नहीं है।
बताया जा रहा है कि जबलपुर से जिन आइसोलेशन कोच को दिल्ली भेजा गया था, उनका भी एक या दो बार ही उपयोग किया गया है। दरअसल इन कोच में आइसोलेशन की पर्याप्त सुविधा नहीं है। वहीं दूसरी ओर कोच के एक केबिन में दो मरीजों को आइसोलेट किया जा सकता है, लेकिन जब इन्हें आक्सीजन की जरूरत होगी तो एक केबिन में एक ही आक्सीजन लगाना संभव हो पाएगा।
कोट
वर्तमान में हमारे पास 22 आइसोलेशन कोच का रैक है। इनमें पर्याप्त मेडिकल सुविधाएं हैं, जहां से भी इनकी डिमांड आएगी, वहां इन्हें भेज दिया जाएगा।-विश्वरंजन, सीनियर डीसीएम, जबलपुर रेल मंडल

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