बता दें कि कोरोना संक्रमण के शुरूआती दौर में ही रेलवे ने रेल की बोगियो को आइसोलेशन कोच के रूप में विकसित करने का काम शुरू किया था। इसी कड़ी में जबलपुर रेल मंडल की ओर से भी 46 आइसोलेशन कोच तैयार किए गए थे। इसमें से 24 कोच दिल्ली भेज दिए गए। अभी 22 कोच और जबलपुर में हैं, जिनके लिए अभी तक कोई डिमांड नहीं आई है।
यहां यह भी बताते चलें कि जबलपुर में खड़ी 22 कोच की आइसोलेशन ट्रेन में 19 जनरल कोच हैं, जिन्हें आइसोलेशन कोच में बदला गया है। साथ ही 2 एसएलआर यानि पार्सल कोच हैं। इसके अलावा इसमें 1 एसी कोच भी लगाया गया है, जो मेडिकल स्टॉफ के पास है। इन कोच को जबलपुर रेल अस्पताल के हेंडओवर किया गया है। पिछले 4 माह से यह कोच बंद हैं। सिर्फ खिड़की में पर्दे और सीटों में फेरबदल किया गया है। बाकी किसी कोच में भी आक्सीजन नहीं है।
बताया जा रहा है कि जबलपुर से जिन आइसोलेशन कोच को दिल्ली भेजा गया था, उनका भी एक या दो बार ही उपयोग किया गया है। दरअसल इन कोच में आइसोलेशन की पर्याप्त सुविधा नहीं है। वहीं दूसरी ओर कोच के एक केबिन में दो मरीजों को आइसोलेट किया जा सकता है, लेकिन जब इन्हें आक्सीजन की जरूरत होगी तो एक केबिन में एक ही आक्सीजन लगाना संभव हो पाएगा।
कोट
वर्तमान में हमारे पास 22 आइसोलेशन कोच का रैक है। इनमें पर्याप्त मेडिकल सुविधाएं हैं, जहां से भी इनकी डिमांड आएगी, वहां इन्हें भेज दिया जाएगा।-विश्वरंजन, सीनियर डीसीएम, जबलपुर रेल मंडल
वर्तमान में हमारे पास 22 आइसोलेशन कोच का रैक है। इनमें पर्याप्त मेडिकल सुविधाएं हैं, जहां से भी इनकी डिमांड आएगी, वहां इन्हें भेज दिया जाएगा।-विश्वरंजन, सीनियर डीसीएम, जबलपुर रेल मंडल