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नीलावाया में कुल 722 मतदाता हैं
दंतेवाड़ा के नीलावाया इलाके के ग्रामीणों में माओवादियों का भय साफ देखने को मिला। 722 मतदाताओं वाले इस बूथ में सिर्फ 20 साल बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक ग्रामीण ने वोट दिया था। 21 वे साल यह आंकड़ा बढक़र 83 तक पहुंचा। यह आंकड़ा जरूर माओवादी दहशत कम होने की ओर जरूर इशारा करता है लेकिन अभी भी गांव के काफी लोगों में दहशत बरकरार है।
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दूरदर्शन की टीम पर भी इसी इलाके में एक साल पहले हुआ था हमला
माओवादी दहशत की वजह से यहां इस गांव के लोगों ने पिछले 20 साल से वोट नहीं डाला है। सुरक्षा बलों के साये में सडक़ बनने लगी तो प्रशासन ने दो दशक बाद पिछले विधानसभा चुनाव में मतदान करने की जहमत उठाई थी। लेकिन इससे ठीक पहले कवरेज करने आई दूरदर्शन की टीम को माओवादियों ने निशाना बनाया था। जिसमें एक कैमरामेन व दो जवानों की मौत हो गई थी। वारदात हो गई और बूथ शिफ्ट करना पड़ा। माओवादियों की दहशत और प्रशासन से नाराजगी ही है कि किसी ने वोट नहीं डाला।
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21 साल से गांव में नहीं हुआ मतदान, माओवादी दहशत से हर बार शिफ्ट होता है बूथ
इस इलाके में माओवादी दहशत की वजह से हर बार बूथ को शिफ्ट किया जाता है। अंदरूनी गांवों में माओवादी चुनाव का बहिष्कार करते हैं, इसी भय से ग्रामीण वोट देने नहीं आते। यहां माओवादी भय की वजह से 21 साल से गांव में मतदान ही नहीं हुआ है। हर बार बूथ को शिफ्ट किया जाता है। विधानसभा चुनाव से पहले घटना के बाद नीलावाया में बने पोलिंग बूथ को शिफ्ट किया गया था। इस बार भी यहां का बूथ 15 किमी दूर माडेंदा में शिफ्ट किया गया है।