बताया जा रहा है कि
अबूझमाड़ और नेशनल पार्क का क्षेत्रफल क्रमशः साढ़े चार हजार तथा 2200 वर्ग किमी का है जो कि काफी विशाल है इन दोनों इलाको में गांवों की संख्या कम है तथा पुलिस और प्रशासन की कोई इकाई मौजूद नहीं होने के कारण है कि यहां पैदल चलकर जवानों के लिए ऑपरेशन करना आसान नहीं है। इसलिए इन इलाकों के लिए फोर्स ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है।
CG Naxal News: नक्सलियों के बड़े नेता छिपे है बस्तर में
बस्तर के अबूझमाड़ और नेशनल पार्क के इलाके नक्सलियों की शरणस्थली बने हुए है। पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमेटी के दर्जनभर नेता यहां बंकर बनाकर रह रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक वर्तमान में मुपल्ला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति, मोलुजुला वेणुगोपाल उर्फ भूपति, नंबाला केशवराव उर्फ बसवा राजू, कादरी सत्यनारायण उर्फ कोसा जैसे बड़े नक्सली नेताओं की लोकेशन यही की मिल रही है।
डीकेएसजेडसी का संचालन नेशनल पार्क से
पुलिस सूत्रों के मुताबिक डीकेएसजेडसी (दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी) का संचालन नक्सली इंद्रावती नेशनल पार्क से ही कर रहे है। यहां तक शासन और पुलिस की पकड़ नहीं है। केसीआर रेड्डी उर्फ गुडसा उसेंडी जो कि केंद्रीय कमेटी का सदस्य तथा डीकेएसजेडसी का सचिव है। वह यहीं से संगठन का संचालन कर रहा है। बताया जाता है कि रविवार को 9 फरवरी को नेशनल पार्क में हुए फोर्स के हमले में पापाराव के भी वहां मौजूद होने की खबर थी लेकिन फोर्स के हमले के पूर्व वह किसी तरह बचकर निकलने में सफल रहा था। क्या है छापामार युद्ध…?
दुश्मन पर छिपकर वार करना या उसपर अचानक हमलाकर उसे नुकसान पहुंचाना ही छापामार शैली है इस प्रकार के हमलों से दुश्मन को सम्हलने का मौका नहीं मिलता और उसे लड़ाई में काफी नुकसान उठाना पड़ता है। दरअसल नक्सलियों की स्मॉल एक्शन टीम इस प्रकार से ही हमलों को अंजाम देती है।
ग्रेहाउंड्स की तर्ज पर छापामार हमले
आंध्रप्रदेश और तेलंगाना की स्पेशल फोर्स ग्रेहाउंड्स ने इसी छापामार शैली में नक्सलियों को अपने इलाके से खदेड़ने में सफलता पाई है। अब
बस्तर में भी फोर्स ने इसी शैली को अपनाया है। अब तक सिर्फ नक्सली ही इसका उपयोग करते रहे है लेकिन अब डीआरजी और बस्तर बटालियन के जवान भी इस तकनीक में परांपरगत हो गए है। वे लगातार नक्सलियों के दांत खट्टे कर रहे है। वर्ष 2024 से फोर्स ने इसी शैली में नक्सलियों पर ताबड़तोड़ हमले कर उनकी कमर तोड़ दी है।
तकनीक का मिल रहा सहारा
CG Naxal News: फोर्स की छापामार शैली को तकनीक का भरपूर सहारा मिल रहा है इसके मुताबिक जिस इलाके में फोर्स को अटैक करना है। वहां के बारे में पहले इंटेलिजेंस इनपुट हासिल किया जाता है फिर यूएवी के द्वारा इलाके की निगरानी की जाती है। यूएवी से मिली तस्वीरों और वीडियो देखकर रणनीति बनाई जाती है, इसके पश्चात फोर्स की रवानगी और हमले की रणनीति बनाई जाती है। कुछ कमांडो टारगेट के नजदीक एयरलिफ्ट करके पहुंचाए जाते है फिर मिनी ड्रोन नेत्रा के द्वारा काफी ऊंचाई से नक्सलियों की गतिविधियों की निगरानी कर अचानक हमला किया जाता है।