अविनाश के पिता पेशे से किसान हैं और मां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता। अविनाश दो बार प्री क्लियर करके मेन्स में बैठे लेकिन यहां उन्हें असफलता हाथ लगी। साल 2018 -19 के लिए आए नतीजों से पहले वे इंटरव्यू राउंड में पहुंचे। यहां उन्हें राज्य और देश से जुड़े कई कठिन सवालों का सामना करना पड़ा। इसके बाद आए नतीजों में उन्हें 61 वीं रैंक हासिल हुई।
एक साल दिल्ली में रहने के बाद अविनाश वापस जगदलपुर लौटे और यहां एक पीएससी कोचिंग संस्थान में पढ़ाने लगे। वे मानते हैं कि यहां पढ़ाते हुए उनकी असल तैयारी हुई। इसके बाद ही वे दो बार मेन्स में बैठे और फिर इस बार इंटरव्यू क्लियर करके 61 वीं रैंक हासिल की। अविनाश कहते हैं कि बतौर प्रशासनिक अधिकारी वे लोगों की सेवा करना चाहते हैं। अंतिम व्यक्ति तक शासन की योजना पहुंचाना चाहते हैं।