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शिक्षा विभाग : बस्तर जिले में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की पदोन्नति में गड़बड़ी, 20 अपात्र कर्मचारियों को दे दिया प्रमोशन

Irregularity in promotion of employees: शिक्षा महकमे में तैनात टी-संवर्ग के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को सहायक ग्रेेड तीन के पद पर प्रमोट कर दिया गया। नियम कहता है कि सिर्फ उन्हीं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का प्रमोशन हो सकता है जो नियमित कर्मचारी हैं।

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शिक्षा विभाग

शिक्षा विभाग फ़ाइल फोटो

Irregularity in promotion of employees: शिक्षा महकमे में तैनात टी-संवर्ग के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को सहायक ग्रेेड तीन के पद पर प्रमोट कर दिया गया। नियम कहता है कि सिर्फ उन्हीं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का प्रमोशन हो सकता है जो नियमित कर्मचारी हैं। लेकिन शिक्षा महकमे ने 20 ऐसे कर्मचारियों को प्रमोट कर दिया जो नियमित नहीं थे। यानी कार्यभारित आकस्मिक निधि सेवा के अंतर्गत काम कर रहे थे।

यह मामला 2018 का है और लगभग चार साल से अपात्र कर्मचारी सहायक ग्रेड 3 के पद पर हैं और उसी के अनुसार वेतन व अन्य सुविधाएं प्राप्त कर रहे हैं। इस मामले में जिन कर्मचारियों के साथ गलत हुआ है वे न्याय पाने भटक रहे हैं।

आदेश के बाद भी नहीं जारी हुई सूची
इसके बाद कलेक्टर ने उस वक्त के ज्वाइंट डायरेक्टर शिक्षा को संशोधित सूची जारी करने का आदेश दिया। ज्वाइंट डायरेक्टर ने कलेक्टर के द्वारा करवाई गई जांच का हवाला देते हुए जिला शिक्षा अधिकारी को 20 जून 2022 को संशोधित सूची जारी कर पात्र कर्मचारियों को प्रमोशन देने कहा लेकिन अब तक कर्मचारियों को न्याय नहीं मिल पाया है।

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जेडी पुरानी जांच को नहीं मान रहे
20 जून 2022 को जिस ज्वाइंट डायरेक्टर ने पात्र कर्मचारियों के पक्ष में संशोधित सूची जारी करने का आदेश जारी किया। उनका जुलाई महीने में ही आकस्मिक निधन हो गया। इसके बाद जो नए जेडी आए वे अब कर्मचारियों की बात मानने को तैयार नहीं हैं। पूरा मामला अटक गया है।

जांच में साफ हुआ कि गलत हुआ
पात्र कर्मचारियों ने बताया कि वे चतुर्थ श्रेणी के पद पर नियमित कर्मचारी के रूप में कार्यरत हैं लेकिन उनकी जगह तत्कालीन डीईओ राजेंद्र झा ने अपात्रों की प्रमोशन सूची जारी कर दी। जब इसकी शिकायत की गई तो शिकायत को भी उन्होंने नहीं सुना। इसके बाद कर्मचारियों ने तत्कालीन कलेक्टर रजत बंसल से मामले की शिकायत की और उन्होंने मामले की जांच के लिए अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी बनाई। इस जांच कमेटी ने 11 माह बाद कलेक्टर को रिपोर्ट सौंपी और बताया कि शासन के 12 सितंबर 1977 के नियमों का उल्लंघन करते हुए प्रमोशन दिया गया है।

इस संबंध में बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार ने कहा, इस मामले की जानकारी आपके माध्यम से ही मिल रही है। पूर्व में इसमें जो कुछ भी हुआ है उसे दिखवाता हूं। अगर कुछ गलत हुआ है तो निश्चित रूप से नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।