25 दिन तक चलने वाले इस गोंचा पर्व का अंतिम दिन बाहुड़ा गोंचा कहलाता है। इसमें कपाटफेड़ा के बाद भगवान जगन्नाथ और उनकी पत्नी लक्ष्मी से मिलने के बीच में उनके बीच संवाद होता है। इस रस्म में जगन्नाथ अपनी पत्नी को मनाते हैं। दरअसल जगन्नाथ बिना बताए घर से निकल जाते है, और वे मौसी के घर जनकपुरी पहुंच जाते हैं। इसी बीच जब वह अपनी मौसी के यहां आराम करते रहते है, तो लक्ष्मी जी उनको ढूंढते हुए हेरापंचमी के दिन जनकपुरी पहुंचती है, जहां उन्हें बिना बताये यहां आने पर नाराज होकर चली आतीं है।