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बस्तर इलाके में पुलिस व्यवस्था कमजोर… कई पद खाली, इस वजह से नहीं हो रही भर्ती

बस्तर के अंदरूनी इलाकों में नक्सली आतंक के चलते केन्द्रीय रिजर्व बल की कई बटालियन मौजूद हैं जो यहां की भीतरी आतंक को खत्म करने के लिए पर्याप्त हैं, लेकिन मैदानी इलाकों में सामान्य अपराध दिन पर दिन बढ़ रहे हैं।

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बस्तर के अंदरूनी इलाकों में नक्सली आतंक के चलते केन्द्रीय रिजर्व बल की कई बटालियन मौजूद हैं जो यहां की भीतरी आतंक को खत्म करने के लिए पर्याप्त हैं, लेकिन मैदानी इलाकों में सामान्य अपराध दिन पर दिन बढ़ रहे हैं। पिछले पांच वर्षोँ में आपराधिक घटनाओं में इजाफा हुआ है जबकि पुलिस बल में निरंतर कर्मचारी सेवानिवृत्त होने और नई भर्ती न होने से घट रहे हैं। इन हालातों में अपराध पर नियंत्रण करना मौजूदा फोर्स के लिए चुनौती बनती जा रही है। स्थितियों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिले की आबादी में से 720 लोगों की सुरक्षा एक जवान के जिम्मे है।

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जिले में 15 थाने 4 चौकी और अपराध 1431

बस्तर जिला कुल 6596.90 वर्ग किमी की क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यहां 7 ब्लॉक एक नगर निगम, दो नगर पालिका और 595 गांवों के लिए 15 थाना और 4 पुलिस चौकी हैं, जिनमें लगभग 982 पुलिस बल तैनात हैं। इसके अलाव पुलिस लाइन के रिजर्व बल, डीएसबी और बस्तर फाइटर, गोपनीय सैनिक इत्यादि मिलाकर कुल 1963 पुलिस कर्मचारी बताए जा रहे हैं। जिले की बात किया जाए तो यहां किसी भी थाने में पर्याप्त बल नहीं है। इस वर्ष 1431 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि पिछले पांच साल में थानों में दर्ज अपराध की संख्या 7913 है जो बहुत ज्यादा है। इन अपराध में सबसे ज्यादा 2280 मारपीट के हैं जिनमें पुलिस को पहुंचकर शांत करने में खासी मशक्कत करनी पड़ती है।

मानक भी पूरी नहीं करती मौजूदा संख्याबस्तर जिले की वर्तमान जनसंख्या 14,13,199 है। अगर इस आबादी और थाने में तैनात स्टाफ के हिसाब से औसत देखा जाए तो 1439 व्यक्ति पर एक जवान की तैनाती सामने आती है और यदि आबादी और जिले में तैनात कुल स्टाफ का औसत निकाला जाए तो प्रति 720 व्यक्ति पर एक जवान की तैनाती सामने आती है। सुरक्षा विशेषज्ञों की माने तो तीन सौ की आबादी पर एक पुलिस जवान होना चाहिए। इस हिसाब से यहां पर लगभग दो से ढाई गुना जवानों की कमी है।

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अपराधों की विवेचना में होती है देरीपुलिस सूत्रों की मानें तो यहां पर सबसे अधिक परेशानी दर्ज अपराध की विवेचना करने में होती है। दर्ज अपराधों की विवेचना का अधिकार प्रधान आरक्षक से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को होता है। यहां पर मौजूद जिला बल में सबसे अधिक संख्या आरक्षकों की है इसके बाद अधिकारी वर्ग के पुलिस बल हैं जिसकी संख्या पर्याप्त नहीं है। यही वजह है कि बस्तर में लंबित अपराधों की संख्या काफी ज्यादा है। इसके अलावा यहां पर महिला संबंधी अपराध की संख्या भी लगातार बढ़ती ही जा रही है।


बल की कमी तो बनी ही रहती है लेकिन हमारे पास उपलब्ध बल से कानून व्यवस्था पर नियंत्रण बनायेें रखने के लिये कोशिश करते हैं। आने वाले समय में जिला पुलिस बल की कमी दूर कर संख्या बढ़ाये जाने की कोशिश की जायेगी।

- शशिमोहन सिंह, पुलिस अधीक्षक बस्तर

22 और 26 को शुष्क दिवस दिवस घोषित

22 जनवरी को अयोध्या में श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर बस्तर जिले में स्थित सभी प्रकार की मदिरा दुकानें पूर्णत: बंद रखे जाने का आदेश कलेक्टर ने दिया है।