असल में मेरा पेशेंट नाम से गूगल प्ले स्टोर से इस एप्लीकेशन को डाउनलोड किया जा सकता है। इस ऐप में एक ऐसा पैनिक बटन दिया गया है, जिसके स्लाइड करते ही एक साथ पांच अपनों के पास अलार्म बजना शुरू हो जाएगा। यही नहीं, उनके पास नोटिफिकेशन और एसएमएस भी जाएगा। इस मैसेज में लिखा होगा कि आप किसी प्रकार की मुसीबत में हैं, आपको तुरंत सहायता की जरूरत है। यह जरूरत कहां है, उसकी गूगल लोकेशन भी मैसेज के साथ आएगी। यानी रेस्क्यू के लिए मदद का पता भी आपको मिल सकेगा।
आपात स्थिति में सबसे पहले कोई जानकार ही किसी की मदद करता है। इसलिए सबसे पहले एक डाउनलोड करने वाला व्यक्ति पांच ऐसे लोगों को पैनिक यूजर पर क्लिक कर रिक्वेस्ट भेजता है, जो उसके अपने यानी आपात स्थिति में उसकी मदद करने में सक्षम हों। जब वे रिक्वेस्ट एसेप्ट कर लेते हैं तो वे उसके एप पर रक्षक के तौर पर रजिस्टर हो जाते हैं।
– जोड़े गए पांचों व्यक्तियों के मोबाइल पर एक साथ पैनिक अलार्म बजने लगेगा।
– ये पैनिक अलार्म फोन के साइलेंट होने पर भी बजेगा।
– उनके पास नोटिफिकेशन के साथ मैसेज भी जाएगा, जिसमें पीड़ित की गूगल लोकेशन भी होगी।
– पीड़ित के मोबााइल पर इंटरनेट नहीं होने पर भी पांचों व्यक्तियों को एक साथ गूगल लोकेशन सहित मैसेज जाएगा।
– यदि सहायता देने वाले रजिस्टर्ड व्यक्ति का मोबाइल बंद है तो जब भी वह डिवाइस चालू करेगा, उसके मोबाइल पर अलार्म बजेगा और मैसेज भी पहुंच जाएगा।
मनीष मेहता का कहना है कि देश में कई ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, जिन्हें देख-सुनकर लगता है कि यदि ऐसा कोई पैनिक बटन उनमें से किसी के मोबाइल पर होता तो उनकी जान बचा सकती थी। जैसे जयपुर में नमक के बोरे से भरे ट्रक का पलट जाना और उसके नीचे पांच लोगों को लेकर दबी कार को ढाई घंटे बाद रेस्क्यू कर बाहर निकाला जाना, एक बड़ा उदाहरण हो सकता है। यदि ऐसा कोइ बटन तब होता तो संभव है, जो रेस्क्यू ढाई घंटे बाद शुरू हुआ, वह आधे घंटे में ही शुरू हो जाता और उनमें से किसी की जान बचाई जा सकती।