कोटकासिम थाने में मंगलवार को रिपोर्ट दर्ज कराने वालों के अलावा और लोग भी पहुंचे। ये वे लोग थे जो तिजोरी देखने के लिए गए थे। उन्हें केवल तिजोरी देखनी थी, उसकी दावेदारी से कोई ताल्लुक नहीं था।
तिजोरी के दो कुंदों में से एक के ताला लगा हुआ है, जो जंग खा चुका है। इसके बावजूद इसको खोलना आसान नहीं है। तिजोरी के ऊपरी हिस्से में एक अंदरूनी ताला है। पुलिस को कटर से इसके बाहरी आवरण पर लगी लोहे की एंगल काटनी होगी। यह चारों तरफ से वेल्ड की हुई है।
तिजोरी का मामला जब उच्चाधिकारियों तक पहुंचा तो सबसे पहले यह पता लगाने के लिए कहा गया कि यह कब से मालखाने में पड़ी है। थाने का पूरा रेकॉर्ड खंगाला, लेकिन तिजोरी से संबंधित कोई कागज नहीं मिला। इस पर थाने के पुराने स्टाफ से जानकारी जुटाई गई। बस इतना ही पता चल सका कि वर्ष 1981 में आई बाढ़ के दौरान यह तिजोरी साबी नदी के बहाव क्षेत्र में मिली थी।
क्रेन से पड़ा उठाना
संदूक का वजन इतना है कि पुलिस के दस जवान भी उसे हिला तक नहीं सके। इसलिए तिजोरी को उठाने के लिए क्रेन की मदद लेनी पड़ी। क्रेन की मदद से तिजोरी को नए थाने में रखवाया गया।