जयपुर। करोड़ों के घोटाले का खुलासा होने के बाद किस तरह जिम्मेदारों को बचाया जा रहा है, इसकी बानगी बिजली कंपनियों में देखी जा सकती है। विद्युत सब स्टेशन निर्माण में 237 करोड़ के घोटाले से जुड़े काम का मामला कोर्ट में पहुंच गया है। डिस्कॉम ने अनुबंधित कंपनी को जो 'कागजी' टर्मिनेशन का नोटिस जारी किया, उस आधार पर कंपनी हाईकोर्ट पहुंच गई। अब डिस्कॉम अधिकारी बीच का रास्ता तलाशने का प्रयास कर रहे हैं।
अफसरों को डर है कि कहीं कोर्ट में मामला उस जांच रिपोर्ट तक नहीं पहुंच जाए, जिसमें जिम्मेदारों ने 246 प्रतिशत अधिक दर पर कार्यादेश देने का खुलासा हुआ है। इससे बचने के लिए कुछ अफसर कंपनी सेे बातचीत के लिए बीच का रास्ता तलाशने में जुटे हैं। सूत्रों के मुताबिक इसमें एक पूर्व एमडी और एक पूर्व विधायक मध्यस्थता के भूमिका निभा रहे हैं।
इस बीच प्रबंधन ने सभी संबंधित अधिकारियों को मामले में मीडिया या अन्य कर्मचारी-अधिकारी से चर्चा नहीं करने की हिदायत दी है। गौरतलब है कि जीएसएस निर्माण से जुड़े दो मामलों में अनुबंधित कंपनी आर.सी. एंटरप्राइजेज को 237 करोड़ से अधिक राशि का कार्यादेश दिया गया। रिपोर्ट में कॉर्पोरेट लेवल परचेज कमेटी (सीएलपीसी) की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए गए।
-आरती डोगरा, सीएमडी, डिस्कॉम्स
-आलोक, अतिरिक्त मुख्य सचिव, ऊर्जा विभाग
डिस्कॉम ने दो नाेटिस जारी किए, जिसमें 42 में से 31 जीएसएस का निर्माण तय अवधि में नहीं होना बताया गया। साथ ही कुछ जगह अनुबंध के अनुसार काम नहीं होना बताया। इसी आधार पर कंपनी को नोटिस जारी कर पूछा गया कि, क्यों न आपका अनुबंध टर्मिनेट कर दिया जाए। हालांकि, इसमें कमेटी रिपोर्ट का जिक्र नहीं है।
Published on:
18 Oct 2024 11:46 am