
मोहनलाल विश्नोई/वेड़िया (जालौर). राजस्थान के जालौर में चितलवाना उपखंड क्षेत्र के कोलियों की ढाणी स्कूल घास-फूस के छपरे के नीचे संचालित हो रहा है। शिक्षक के बैठने के लिए एक प्लास्टिक कुर्सी है और बच्चे दरी पर बैठते हैं। कुल मिलाकर 35 बच्चे यहां पढ़ने के लिए आते हैं। गांव के भामाशाह ने बच्चों की स्कूल के लिए भूमि भी दे दी लेकिन शिक्षा विभाग ने अभी तक स्कूल बनाने का बीड़ा नहीं उठाया। सर्दी, गर्मी, बरसात सभी मौसम में बच्चे छपरे के नीचे ही बैठकर पढ़ाई करते हैं।
राज्य सरकार ने अक्टूबर 2021 को स्कूल की शुरुआत की। डेढ़ साल बीत गया है लेकिन शिक्षा विभाग ने भवन निर्माण को लेकर अभी हामी नहीं भरी है। स्कूल के लिए भामाशाह होथीराम कोली की ओर से जमीन मुहैया करवाई गई है। बच्चों के लिए पानी पीने की व्यवस्था भी होथीराम के घर से ही की जाती है। विद्यालय का जरूरी सामान भी होथीराम के घर पर ही रखे जाते हैं। इधर, आकोङिया मे राजकीय प्राथमिक अनुसूचित जाति बस्ती संस्कृत विद्यालय फरवरी 2022 से संचालित हो रहा है। यहां तो बैठने के लिए छायादार सुविधा तक नहीं है।
इनका कहना है...
इस स्कूल को अक्टूबर 2021 से ही घास के छपरे में चालू किया था। आंधी-तूफान से यह छपरा दो तीन बाद गिर भी गया था जिसे गांव वालों की मदद से फिर से ठीक किया गया। यहां तो पीने का पानी भी नहीं है।
—सोनू भाटी, अध्यापक, कोलियों की ढाणी, आकोड़िया
कोलियों की ढाणी अक्टूबर 2021 में चालू हुई है। बिल्डिंग अभी तक नहीं बनी है। एक जमीन के कागज भेज रखे हैं।
- प्रकाशचंद्र विश्नोई, पीई्ईओ खेजड़ियाली
हमने स्कूल बनाने केलिए सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है।
- मंगलाराम खोखर, एसीबीओ, चितलवाना
Published on:
13 Feb 2023 10:51 am
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