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राजस्थान में ये हैं माता के 5 चमत्कारी मंदिर, दर्शनमात्र से ही पूर्ण होती है मनोकामना

Navratri 2025: बीकानेर के राजघराने की कुलदेवी करणी माता का चमत्कारी मंदिर बीकानेर शहर से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जिसे चूहे वाला मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैं। यहां हजारों की संख्या में काले और सफेद चूहे हैं। यहां सफेद चूहों के दर्शन को शुभ माना जाता है।

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Top 5 Mata Temple In Rajasthan: राजस्थान में कई चमत्कारी मंदिर है जिनके दर्शनमात्र से भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है। चैत्र नवरात्र में अगर आप भी माता के दर्शन का सोच रहे हैं तो इन 5 मंदिर में पहुंचकर आपके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे।

Idana Mata: उदयपुर शहर से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चमत्कारी ईडाणा माता मंदिर में माता स्वयं ही अग्नि से स्नान करती हैं। जिसकी लपटे 10-20 फीट ऊंचाई तक जाती है। इसे देखने के लिए दूर-दराज से भक्त भारी संख्या में मंदिर में पहुंचते हैं। इन्हें मेवाड़ क्षेत्र की आराध्या मां कहा जाता है।

Jeen Mata Temple: सीकर जिले में स्थित जीणमाता मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। बताया जाता है कि इस मंदिर के चमत्कार से औरंगजेब इतना प्रभावित हुआ कि उसने मंदिर में अखंड ज्योति शुरू कर उसका तेल दिल्ली दरबार से भेजना शुरू किया था। जीणमाता मंदिर में तब से आज तक वही ज्योति अखंड रूप से जल रही है। जब औरंगजेब की सेना ने मंदिर पर हमला किया तो माता ने रक्षा करते हुए मधुमक्खियों की विशाल सेना को औरंगजेब की सेना पर छोड़ दिया। जिससे सैनिक लहूलुहान होकर भाग गए। इसलिए इन्हे मधुमखियों की देवी भी कहा जाता है और यहां प्रसाद में शराब चढ़ाई जाती है।

Shri Kaila Devi Temple: करौली में स्थित कैला देवी मंदिर 1000 वर्ष से भी ज्यादा पुराना है। इसे उत्तर भारत का प्रमुख तीर्थ स्थल कहा जाता है। यहां कालीसिल नदी में स्नान कर माता के दर्शन करने से कई प्रकार के रोग दूर होते हैं। हर साल यहां लक्खी मेला भी भरता है। इस प्राचीन मंदिर में चांदी की चौकी पर सोने की छतरियां के नीचे 2 प्रतिमाएं है।

Karni Mata Mandir: बीकानेर के राजघराने की कुलदेवी करणी माता का चमत्कारी मंदिर बीकानेर शहर से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जिसे चूहे वाला मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैं। यहां हजारों की संख्या में काले और सफेद चूहे हैं। यहां सफेद चूहों के दर्शन को शुभ माना जाता है।

Shakambari Mata Mandir: चौहान वंश की कुलदेवी की प्रतिमा प्रकट होने की एक कहानी है। भागवत पुराण के अनुसार राक्षसों के दुष्प्रभाव से पृथ्वी पर अकाल पड़ा था तब देवताओं और मनुष्यों ने देवी की आराधना की तो आदिशक्ति ने दिव्य ज्योति से बंजर धरती में शाक उत्पन्न की और इन्हे खाकर सभी ने अपनी भूख मिटाई। तब मां शाकंभरी की प्रतिमा स्वयंभू प्रकट हुई।