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एसीबी का प्रयोग सफल, टोल फ्री नंबर 1064 पर शुरू हुई शिकायतें आना, तीन दिन में मिली सात शिकायत

एसीबी टोल फ्री नंबर 1064 पर शुरू हुई शिकायतें आना, 3 दिन में 7 भ्रष्टाचार की शिकायतें मिली, नंबर का प्रचार प्रसार होने पर संख्या में होगी बढ़ोत्तरी, एसीबी ने शिकायतों को रखा गोपनीय

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मुकेश शर्मा / जयपुर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के टोल फ्री नंबर 1064 पर शिकायतें आना शुरू हो गई है। भ्रष्टाचार की 3 दिन में 7 शिकायतें एसीबी मुख्यालय को मिली है। आला अधिकारियों के निर्देश पर अनुसंधान टीम इन शिकायतों की तस्दीक में जुटी है। एसीबी ने तस्दीक के दौरान शिकायतों को गोपनीय रखा है।

गौरतलब है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एसीबी के टोल फ्री नंबर 1064 का प्रचार प्रसार होने की आवश्यकता है। वहीं इसे प्रभावी बनाने के लिए सरकारी दफ्तरों के स्वागत कक्ष और मुख्य प्रवेश द्वार पर टोल फ्री नंबर 1064 की जानकारी लगाना सुनिश्चित करना चाहिए। नव वर्ष के एक दिन पहले ही एसीबी के महानिदेशक आलोक त्रिपाठी ने उक्त नंबर को आमजन के लिए सार्वजनिक किया था। एसीबी में टोल फ्री नंबर शुरू होने पर गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष भ्रष्टाचार के खिलाफ अधिक संख्या में प्रभावी कार्रवाई हो सकेगी।

एसीबी की वर्ष 2019 में की गई कार्रवाई पर एक नजर

- 1.50 करोड़ रिश्वत लेते और 83 करोड़ आय से अधिक सम्पत्ति के मामले उजागर किए

- 48 राजपत्रित अधिकारी, 264 अराजपत्रित और निजी व्यक्ति हुए गिरफ्तार

- 238 प्रकरणों में चालान एवं 98 प्रकरणों में एफआर

- 280 प्रकरणों में पुरुष और 27 प्रकरण महिलाओं के रिश्वत मांगने के दर्ज हुए

- 14 प्राथमिक जांच के बाद दर्ज की गई और पूर्व के वर्षों में दर्ज प्राथमिक जांच सहित कुल 50 प्राथमिक का निस्तारण भी किया

- 119 प्रकरणों में आरोपी बरी हुए हैं। इनमें ट्रैप में 93, पद के दुरूपयोग में 18 एवं आय से अधिक संपत्ति के आठ प्रकरणों में आरोपी बरी हुए हैं। आरोपगणों की मृत्यु की वजह से 21 प्रकरण ड्रोप किए गए हैं।

- कुल 282 प्रकरण निस्तारित किए गए। न्यायालय के माध्यम से 142 प्रकरणों में सजा हुई है। सजा का प्रतिशत 54.40 फीसदी है। ट्रैप में 124, पद के दुरूपयोग में 13 एवं आय से अधिक संपत्ति के पांच प्रकरणों में सजा हुई है।

- सबसे अधिक 90 ट्रेप पुलिस में हुए, राजस्व विभाग के 53, पंचायत राज के 30, ऊर्जा विभाग के 19, शिक्षा विभाग के 14, नगरीय विकास एवं स्थानीय निकाय के 12, चिकित्सा विभाग के 10 अधिकारी-कार्मिकों के खिलाफ प्रकरण पंजिबद्ध किए गए हैं। अन्य विभागों से संबंधित 81 प्रकरण दर्ज किए गए हैं।