
जयपुर शहर में 20 से 30 प्रतिशत बिजली उपभोक्ता ऐसे हैं, जिन्होंने बिजली के भारी भरकम बिल से राहत पाने के लिए अपने घर की छत पर 6 से 8 किलोवाट क्षमता के सौर उर्जा संयंत्र लगा रखे हैं। मई-जून में संयंत्र से बिजली का खूब उत्पादन हुआ। घर के सभी बिजली उपकरण उपयोग में लेने पर भी बिल शून्य आया। लेकिन अब बीते दो महीने से सूरज बादलों की ओट में छिपा है और घरों में लगे इन संयंत्र से नाम मात्र की बिजली बन रही है। उपभोक्ताओं को अब बिजली के बिल के तौर पर 2 से 3 हजार रुपए चुकाने पड़ रहे हैं।
बिजली इंजीनियरों के अनुसार आसमान साफ होने की स्थिति में एक किलोवाट क्षमता के संयंत्र से 4 यूनिट बिजली बनती है। लेकिन दो महीने से बारिश का दौर है और आसमान में बादल छाए रहते हैं। ऐसे में 4 की जगह 2 यूनिट से भी कम बिजली का उत्पादन हो रहा है। ऐसे में संयत्र से बिजली का निर्यात कम और आयात ज्यादा हो रहा है।
बिजली कम बन रही है और घरों में बिजली के उपकरण गर्मी के हिसाब से ही चल रहे हैं। ऐसे में जहां मई-जून में बिजली का बिल शून्य में आ रहा था। वहीं, अब बिलों में निर्यात और आयात के गुणाभाग के बाद 2 से 3 हजार रुपए उपभोक्ता को चुकाने पड़ रहे हैं।
Published on:
14 Sept 2024 07:37 am
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