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एनएबीएच के नाम पर निजी में चिरंजीवी कटौती, सरकारी अस्पतालों के लिए तो यह दूर की कौड़ी

उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल, सुविधाओं और माहौल पर मिलती है मान्यता सरकार ने एनएबीएच को मापदंड माना, लेकिन खुद के अस्पतालाें के लिए नहीं किए प्रयास

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जयपुर

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VIKAS JAIN

Nov 15, 2023

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राज्य में कई तरह के अलग-अलग मापदंड बनाकर निजी अस्पतालों में मरीजों से चिरंजीवी बीमा की सुविधा छीनी जा रही है। हाल ही में राजस्थान स्टेट हैल्थ एश्यारेंस एजेंसी ने घुटना और कुल्हा प्रत्यारोपण की सुविधा गैर नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स (एनएबीएच) मान्यता प्राप्त अस्पतालों से छीनने के बाद बड़ा सवाल सरकारी अस्पतालों के पास यह मान्यता नहीं होने को लेकर भी खड़ा हो गया है। राज्य के सबसे बड़े सवाईमानसिंह अस्पताल सहित किसी भी सरकारी अस्पताल के पास यह मान्यता नहीं है।

निजी अस्पतालों ने दबी जुबान में इसका विरोध शुरू कर दिया है। इनका कहना है कि जब सरकार इस मान्यता को मानती ही नहीं है तो निजी अस्पतालों में मरीजों से यह सुविधा कैसे छीनी जा रही है। जबकि इसकी मान्यता के बिना ही सरकारी अस्पतालों में यह इलाज जारी रखे गए हैं।

बड़े शहरों में भी इक्का दुक्का अस्पताल

राज्य में इस समय सिर्फ 92 निजी अस्पताल ही पूरी तरह एनएबीएच हैं। इनमें 35 जयपुर के हैं। जोधपुर, उदयपुर, अजमेर और कोटा जैसे बड़े शहरों में भी अभी तक एनएबीच मान्यता धारी इक्का दुक्का अस्पताल ही हैं। चिरंजीवी योजना में अभी तक राज्य के करीब 700 अस्पताल जुड़े हुए हैं। पत्रिका ने पड़ताल की तो सामने आया कि राज्य के सबसे बड़े एसएमएस मेडिकल कॉलेज से संबंद्ध एसएमएस, जेकेलोन सहित अन्य अस्पतालों ने तो अभी तक यह मान्यता लेने पर विचार तक शुरू नहीं किया है।

इन सुविधाओं पर मिलती है यह मान्यता

यह मान्यता मरीजों के लिए अस्पताल में सभी तरह की आरामदायक सुविधाएं होने पर दी जाती है। जिसमें मरीज और परिजनों के लिए पर्याप्त बैठने के स्थान, डॉक्टर्स-नर्सिंग का मापदंडों के अनुसार अनुपात, अस्पताल में संक्रमण रहित माहौल, अधिक से अधिक फ्री स्पेस एरिया, कैफेटेरिया, हरियाली, कतार मुक्त जांच, ऑपरेशन और परामर्श सुविधाएं मुख्य हैं।

इस आदेश के बाद विवाद

चिंरजीवी बीमा योजना के तहत निजी अस्पतालों होने वाले घुटना व कूल्हा प्रत्यारोपण पर राजस्थान स्टेट हैल्थ एश्यारेंस एजेंसी (राशा) ने पिछले दिनों कटौती की है। अब यह सुविधा सिर्फ फुल एनएबीएच प्रमाणित अस्पतालों में ही दी जा रही है। इनमें भी जहां ऑर्थोपेडिक स्पेशलिटी है वहां ही ऑपरेशन होंगे। इसकी सूचना योजना के पोर्टल पर जारी की गई है। चिंताजनक यह है कि प्रदेश के कई जिलों में एक भी फुल एनएबीएच अस्पताल नहीं है। ऐसे में निजी अस्पताल में प्रत्यारोपण करवाने के लिए अब मरीजों को बड़े शहर जाना पड़ेगा।

सरकारी अस्पतालों के सामने यह संकट

1. मरीजों की भारी भीड़, परिसर छोटे...कैसे निकालें मरीजों और परिजनों के लिए ज्यादा से ज्यादा फ्री स्पेस
2. मरीजों की कतार भारी, इसे कम करना फिलहाल मुश्किल
3. कैंटीन में निजी अस्पतालों की तरह नहीं रह पाती साफ सफाई

क्या है एनएबीएच

क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (क्यूसीआई) ने स्वास्थ्य सेवा संगठनों को मान्यता सेवाएं देने के लिए एनएबीएचव की स्थापना की। मेडिकल में एनएबीएच का पूर्ण रूप अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड है। इसका प्राथमिक उद्देश्य स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में निरंतर सुधार और रोगी सुरक्षा को बढ़ावा देना है।

इन सुविधाओं पर मिलती है एनएबीएच मान्यता

उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल
रोगी सुरक्षा
संरक्षित अधिकार
रोगी संतुष्टि
निरंतर सुधार
विश्वसनीयता
प्रतिस्पर्धी स्वास्थ्य सेवा
चिकित्सा पर्यटन
बेहतर कार्य वातावरण
उन्नत व्यावसायिक विकास
उच्च कर्मचारी संतुष्टि
मान्यता और पुरस्कार
नौकरी की सुरक्षा

एनएबीएच एक उच्च् स्तरीय मान्यता है। अब सरकारी अस्पतालों में भी निरंतर सुविधाओं का विकास हो रहा है। आगामी समय में इस मान्यता के लिए प्रयास करेंगे।
डॉ.अचल शर्मा, अधीक्षक, सवाईमानसिंह अस्पताल