इधर, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ( Satish Poonia ) और उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ( Rajendra Rathore ) ने बयान जारी कर कहा कि मुख्यमंत्री का बयान लोकतंत्र की हत्या है। प्रेस काउंसिल के नोटिस ने इसे स्पष्ट भी कर दिया है। उन्होंने कहा कि मीडिया तो अपना धर्म निभाएगा ही, सरकार की सफलता-असफलता को उजागर कर मीडिया लोकतंत्र को मजबूत करने का काम करता है। इसीलिए वह लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहलाता है। उन्होंने कहा कि प्रेस काउंसिल ने मुख्यमंत्री से दो सप्ताह में जवाब मांगा है। अशोक गहलोत पहले मुख्यमंत्री हैं, जिनसे प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने उनके बयान पर स्पष्टीकरण मांगा है। इससे साफ है कि गहलोत सरकार से मीडिया की आजादी को खतरा है।