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राइट टू हेल्थ बिल, सुझावों के लिए दो माह बाद भी कमेटी का गठन नहीं, कब लेगा कानून का रूप?

22 सितंबर को विधानसभा में पेश किया गया था राइट टू हेल्थ बिल, खामियों के चलते प्रवर समिति को भेजा गया था बिल, राईट टू हेल्थ बिल की खामियों को दूर करने और सुझाव के लिए 1 सप्ताह में की गई थी कमेटी गठन की घोषणा

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जयपुर। प्रदेश की जनता को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं देने के लिए सरकार की ओर से लाए गए राईट टू हेल्थ बिल मौजूदा गहलोत सरकार में ही कानून का रूप लेगा या नहीं इसे लेकर सस्पेंस बना हुआ है।

दरअसल इसकी वजह यह है कि राईट टू हेल्थ बिल प्रवर समिति को भेजे जाने के 2 माह बाद भी बिल की खामियों को दूर करने और सुझावों के लिए कोई कमेटी का गठन नहीं किया गया है, जिससे अब संभावना यही जताई जा रही है कि सरकार के 5 और अंतिम बजट में इस बिल को शायद ही अमलीजामा पहनाया जा सके और ये बिल कानून का रूप ले सके। जबकि गहलोत सरकार ने अपने चुनाव घोषणापत्र में भी राइट टू हेल्थ बिल प्रदेश में लागू करने की घोषणा की थी।

22 सितंबर को विधानसभा में पेश किया गया था बिल
राईट टू हेल्थ बिल 22 सितंबर को विधानसभा में पेश किया गया था, जिस पर करीब सत्ता पक्ष और विपक्ष के 20 से ज्यादा सदस्यों ने चर्चा की थी। चर्चा के दौरान बिल में कई खामियों को लेकर सवाल खड़े किए थे। इसके बाद इस बिल को विधानसभा की प्रवर समिति को भेज दिया गया था और साथ में यह भी कहा गया था कि एक सप्ताह में सुझावों के लिए कमेटी का गठन किया जाए लेकिन अब दो महीने के बाद भी कमेटी का गठन नहीं हो पाया है, जिस पर आगामी बजट सत्र में बिल को संशोधनों के साथ फिर से रखा जाए, इसकी कम ही है। इसे लेकर अब सामाजिक लगातार चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

निजी चिकित्सकों ने भी किया था बिल का विरोध
वहीं निजी चिकित्सकों और अस्पताल संचालकों ने भी राईट टू हेल्थ बिल का विरोध किया था। निजी चिकित्सकों का कहना था कि यह बिल निजी चिकित्सकों और प्राइवेट अस्पतालों के हित में नहीं है, इसलिए इसे वापस लिया जाना चाहिए और और जब यह बिल विधानसभा पेश हो रहा था तब निजी चिकित्सक विधानसभा के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे।

क्या है राईट टू हेल्थ बिल
राईट टू हेल्थ बिल के तहत राजस्थान की 8 करोड जनता को फ्री इलाज मिलेगा। कैसी भी इमरजेंसी हो, मरीज अगर किसी निजी अस्पताल में भी जाता है तो वहां भी उसका फ्री इलाज होगा। इतना ही नहीं, मरीज से लेकर डॉक्टर तक के लिए इस बिल में कई प्रावधान जोड़े गए थे। अगर यह बिल विधानसभा में पास होता है तो बिल पास होने के बाद कोई भी निजी अस्पताल मरीज को भर्ती करने से पहले पैसा जमा कराने के लिए नहीं कह सकेगा अगर कोई ऐसा करते हैं तो उस पर कड़ी कार्रवाई होगी।

वीडियो देखेंः- Right to Health कानून लाने की तैयारी हुई तेज