जयपुर

कैंसर में असरकारक साबित हो रही है कंप्यूटर नेविगेशन तकनीक

कैंसर के उपचार में थ्रीडी प्रिंटेड मॉडल और पोर्टेबल नेविगेशन सिस्टम तकनीक की अहम भूमिका साबित हो रही है। सामान्य रूप से सारकोमा (शरीर की हड्डियों और कोमल ऊतकों में होने वाले) कैंसर से निजात दिलाने में यह तकनीक ज्यादा प्रभावी हो रही है।

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Nov 06, 2022
Breast Cancer Sign-Symptoms-Treatment

कैंसर के उपचार में थ्रीडी प्रिंटेड मॉडल और पोर्टेबल नेविगेशन सिस्टम तकनीक की अहम भूमिका साबित हो रही है। सामान्य रूप से सारकोमा (शरीर की हड्डियों और कोमल ऊतकों में होने वाले) कैंसर से निजात दिलाने में यह तकनीक ज्यादा प्रभावी हो रही है। सिविल मेडिसिटी कैंपस स्थित गुजरात कैंसर एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (जीसीआरआई) में हड्डी संबंधित कैंसर से निजात दिलाने के लिए इन तकनीकों से कई ऑपरेशन किए जा चुके हैं, जिनके बेहतर परिणाम मिले हैं।

जीसीआरआई के ऑर्थोपेडिक ऑन्कोलॉजी विभाग के सर्जन डॉ. अभिजीत सालुंके ने बताया कि कैंसर के कुल मामलों में हड्डी संंबधित कैंसर के एक से दो फीसदी मामले होते हैं। इन मामलों में जीसाईआरआई में लिक्विड नाइट्रोजन, क्रायोसर्जरी, कंप्यूटर नेविगेशन टेक्नोलॉजी, 3 डी प्रिंटेड मॉडल और इम्प्लांट तकनीक का उपयोग किया जा रहा हैं। इससे मरीज की मुख्य हड्डी को बचाने में मदद मिलती है।
इस सर्जरी में हड्डी के कैंसरग्रस्त भाग को काटकर उससे कैंसरग्रस्त हिस्सा (गांठ) दूर किया जाता है। उसे लिक्विड नाइट्रोजन या फिर अधिक ग्रे वाली रेडियोथेरेपी का उपयोग किया जाता है। इन पद्धतियों से कैंसर से मुक्ति मिलती है और पुन: उसे प्रत्यारोपित किया जाता है। प्रत्यारोपित करने के लिए कस्टमाइज्ड 3 डी प्रिंटेड तकनीक की मदद से उसका मॉडल तैयार कर काटे गए हिस्से के अनुरूप मेटल प्लेट तैयार की जाती है। जिसका हड्डी को जोड़ते समय उपयोग किया जाता है। इसके परिणाम परंपरागत सर्जरी की तुलना में ज्यादा सटीक मिलते हैं।
डॉ. सालुंके ने बताया कि 3 डी मॉडल के जरिए हड्डी का मुख्यरूप और काटे गए हिस्से के बाद के रूप का सही आकार ठीक से पता चलता है। उनके अनुसार देश के कुछ गिनेचुने अस्पतालों में ही इस आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। उनमें से जीसीआरआई एक है। अब तक 50 से अधिक ऑपरेशन थ्री-डी पद्धति से किए जा चुके हैं। इनके परिणाम काफी अच्छे रहे हैं।

देश में बढ़ रहे कैंसर के मामले, जागरुकता जरूरी

देश में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं इसलिए जागरुकता का होना जरूरी हो गया है। हड्डियों के कैंसर के बारे में भी जागरुकता जरूरी है। उनके अनुसार जीसीआरआई में सारकोमा कैंसर के खिलाफ लड़ाई लडऩे में ये नई तकनीकी अहम साबित हो रही हैं। अज्ञानता, डर एवं समाज के भय से कैंसर के मामले तीसरे और चौथे स्तर तक पहुंच जाते हैं। समय रहते पता चलने पर काफी लोगों का उपचार संभव हो सकता है।

डॉ. शशांक पंड्या, निदेशक, जीसीआरआई

Published on:
06 Nov 2022 09:41 pm
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