जयपुर ग्रेटर निगम के 150 वार्ड वाले निगम के आधे से अधिक वार्डों में आगामी महीनों में विकास कार्य गति से नहीं हो पाएंगे।
जयपुर ग्रेटर निगम का एक आदेश करीब 75 वार्ड पार्षदों के लिए गले की फांस बन गया है। यदि ये आदेश धरातल पर उतरा तो ज्यादातर जोन के वार्ड प्रभावित होंगे। 150 वार्ड वाले निगम के आधे से अधिक वार्डों में आगामी महीनों में विकास कार्य गति से नहीं हो पाएंगे। यही वजह है कि कई पार्षद चुनाव से ठीक पहले इस तरह के आदेश को गलत बता रहे हैं। हालांकि निगम अधिकारी जेडीए से नॉन ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) का इंतजार करना होगा।
दरअसल, दो मई को आयुक्त रूकमणी रियाड़ ने एक आदेश जारी किया है। इसमें लिखा है कि साधारण सभा की बैठक में प्रत्येक वार्ड के लिए 50 लाख रुपए के विकास कार्य स्वीकृत किए हैं।
उक्त कार्यों के निष्पादन के दौरान यह सुनिश्चित किया जाए कि विकास कार्य नगर निगम स्वामित्व की भूमि और हस्तांतरित क्षेत्र में स्थित अनुमोदित कॉलोनियों में ही सपादित किए जाएं। विकास कार्यों का बिल भुगतान के लिए प्रस्तुत करने से पूर्व संबंधित अधिशासी अभियंता और जोन उपायुक्त भौतिक सत्यापन भी करें। आयुक्त कार्यालय से यह पत्र उपायुक्त उद्यान, सभी जोन के अधिशासी अभियंताओं सहित मुख्यालय और विद्युत शाखा के अधिशासी अभियंता को भेजा है।
पिछले वर्ष जून में जेडीए ने एक आदेश जारी कर अपने क्षेत्र को सीमित कर लिया था। इस आदेश में लिखा था कि वित्तीय वर्ष 2024-25 से दोनों निगम को भूखंड बेचने के बदले जेडीए 15 फीसदी राशि दे रहा है। भविष्य में विकास प्राधिकरण निगम को हस्तांतरित हो चुकी कॉलोनियों में विकास कार्य नहीं कराए।
जो कॉलोनियां निगम को हस्तांतरित नहीं हुई हैं, उनमें विकास के लिए निगम जेडीए से एनओसी लेगा। इस पर पहले ही सहमति बन चुकी है।
-रूकमणी रियाड़, आयुक्त, ग्रेटर नगर निगम
ये आदेश जनता के हितों पर कुठाराघात है। विकास कार्य रोकने का काम किया जा रहा है। पहले ही बजट नहीं दिया जा रहा और जो पैसा मिल रहा है उसे रोका जा रहा है।
-राजीव चौधरी, नेता प्रतिपक्ष, ग्रेटर निगम
झोटवाड़ा जोन के पृथ्वीराज नगर इलाके वार्ड।
सांगानेर जोन में मुय बाजार को छोड़कर बाहरी वार्ड।
जगतपुरा, मुरलीपुरा और विद्याधर नगर जोन के वार्ड में भी विकास कार्य नहीं हो पाएंगे।
मालवीय नगर जोन के भी कुछेक वार्ड के लोगों को विकास कार्यों का इंतजार करना होगा।
पार्कों की बाउंड्रीवाल, ओपन जिम नहीं लग पाएंगी।
सड़कों के निर्माण में भी परेशानी होगी।
स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए भी सुनवाई नहीं होगी।