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अपराधियों के गले में ढीला होता पासा का फंदा

locationजयपुरPublished: May 29, 2023 12:32:12 pm

Submitted by:

Devendra

राजस्थान समाज विरोधी क्रिया कलाप निवारण अधिनियम ‘पासाÓ का फंदे में जयपुर शहर के अपराधियों का गला नहीं फंस रहा है। अपराधियों को फंदे में कसने का अधिकार नहीं होने से पुलिस भी इसे गंभीरता से नहीं ले रही है।

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देवेन्द्र शर्मा शास्त्री
जयपुर। राजस्थान समाज विरोधी क्रिया कलाप निवारण अधिनियम ‘पासाÓ का फंदे में जयपुर शहर के अपराधियों का गला नहीं फंस रहा है। अपराधियों को फंदे में कसने का अधिकार नहीं होने से पुलिस भी इसे गंभीरता से नहीं ले रही है। ऐसे में पिछले एक वर्ष में समाज के लिए घातक बन चुके एक भी अपराधी को इस कानून के तहत नहीं फांसा जा सका है। हालांकि आयुक्तालय पुलिस ने इस वर्ष छह अपराधियों के इस्तगासे तैयार कर स्वीकृति के लिए कलक्टर के पास भेजे हैं।

जयपुर शहर पुलिस की स्थिति कमजोर
प्रदेश की राजधानी होने के बावजूद पासा के तहत अपराधियों पर सिकंजा कसने में जयपुर शहर की पुलिस कमजोर है। पिछले एक वर्ष में पुलिस एक भी अपराधी को पासा के तहत निरूद्ध नहीं करवा पाई है। पास में कार्रवाई में सीकर जिला अव्वल है। सीकर पुलिस ने अब तक 14 अपराधियों को पासा के तहत बंद किया है। अन्य जिलों में भी इस कानून के तहत एक से दो कार्रवाई ही हुई है।

अपराधियों पर नकेल हैं पासा
भू-माफिया, आदतन अपराधियों, समाज कंटकों व नशे के कारोबारियों पर लगाम लगाने के लिए राजस्थान समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 2008 लाया गया था। इसके तहत पुलिस समाज के लिए घातक माने जाने वाले अपराधियों को चिह्नित कर उनका अपराधिक डोजीयर तैयार करती है। बाद में कलक्टर की स्वीकृति से अपराधी को निरूद्ध किया जाता है।

एक वर्ष तक नहीं होती जमानत
पासा में अपराधी को निरूद्ध करने की अंतिम स्वीकृति सलाहकार बोर्ड की ओर से दी जाती है। इसके लिए पुलिस व कलक्टर को पेश होकर इसके तथ्य रखने होते हैं। सलाहकार बोर्ड की ओर से स्वीकृति जारी होने के बाद अपराधी की एक वर्ष तक जमानत नहीं होती।

इनका कहना है…
जयपुर और जोधपुर आयुक्तालय पुलिस को पासा के तहत अपराधी को निरूद्ध करने का अधिकार देने का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास विचाराधीन है। जयपुर शहर में आधा दर्जन अपराधियों के पासा के तहत इस्तगासे तैयार कर कलक्टर के पास भेजे गए हैं। अपराधियों को निरूद्ध करने की स्वीकृति कुछ समय के लिए दी जाती है। वहां से स्वीकृति आते ही निरुद्ध करने की कार्रवाई की जाएगी।
कैलाश चंद्र विश्नोई, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त प्रथम, जयपुर

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