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लगी है  मानसून पर टकटकी 

शहर व आसपास के क्षेत्र में मानसून का शुरुआती दौर कमजोर रहने से केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (घना) की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। आगामी दिनों में अच्छी बरसात नहीं हुई तो घना में पानी का संकट भी खड़ा हो सकता है। 

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Moti ram

Jul 15, 2015

शहर व आसपास के क्षेत्र में मानसून का शुरुआती दौर कमजोर रहने से केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (घना) की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। आगामी दिनों में अच्छी बरसात नहीं हुई तो घना में पानी का संकट भी खड़ा हो सकता है।

मुख्य स्रोत चंबल लिफ्ट परियोजना से इस बार उद्यान को सीमित पानी मिलने से समस्या और गहरा गई है। उद्यान प्रशासन गोवर्धन ड्रेन से पानी की उम्मीद लगाए बैठे हैं जो सीधे तौर पर मानसूनी बरसात पर निर्भर है। गत वर्ष भी इस ड्रेन से मात्र 3 एमसीएफटी ही पानी उद्यान को मिला। इस पर ज्यादा निर्भरता बेमानी साबित होगा। घना को प्रतिवर्ष करीब 450 से 500 एमसीएफटी पानी की जरुरत होती है।

चंबल से मिलेगा 62.5 एमसीएफटी पानी
चंबल परियोजना से इस वर्ष घना को मात्र 62.5 एमसीएफटी पानी ही मिलेगा, जो ऊंट के मुंह जीरा के बराबर है। हालांकि, पानी की यह सीमा गत वर्ष ही शुरू होनी थी लेकिन कमजोर मानसून के कारण गत वर्ष चंबल लिफ्ट से 125 एससीएफटी पानी अतिरिक्त छोड़ा गया था। ज्ञात रहे कि धौलपुर से गुजर रही चंबल नदी के पानी को भरतपुर भेजने की चंबल लिफ्टपरियोजना को सुप्रीम कोर्टने केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पानी के संकट को देखते हुए स्वीकृति दी थी। धौलपुर में चंबल का क्षेत्र घडियाल सेंचुरी में आता है। इसी के तहत चंबल लिफ्ट परियोजना से प्रथम तीन वर्ष घना को 310 एमसीएफटी और चौथे वर्ष से 62.5 एमसीएफटी पानी छोडऩा तय हुआ था।

कब-कब मिला पानी
चंबल परियोजना से घना को अक्टूबर 2011 में पानी की शुरुआत हुई थी। इसमें फरवरी 2012 तक 297 एमसीएफटी पानी मिला था। उसके बाद वर्ष 2012-13 में घना को 310 और वर्ष 2013-14 में 81 तथा वर्ष 2014-15 में 188 एमसीएफटी पानी मिला था। बीते दो वर्ष में कम पानी मिलने की वजह पांचना बांध से पानी पहुंचना रहा। घना को पांचना से वर्ष 2012-13 में 234 और 2013-14 में 415 एमसीएफटी पानी मिला था। गौर करना जरुरी होगा कि पांचना का पानी घना के लिए 'लाइफ लाइनÓ था। लेकिन पानी संकट के कारण ग्रामीणों ने पांचना से घना को पानी छोडऩा का विरोध किया, जिस पर पानी मिलना बंद हो गया। घना में बढ़ते जल संकट को देखते हुए राज्य सरकार ने हस्तक्षेप कर वर्ष 2010 में पांचना से 216 एमसीएफटी पानी छुड़वाया।

गोवर्धन ड्रेन का नहीं मिला फायदा
चंबल परियोजना से पानी की तय सीमा को देखते हुए सरकार ने गोवर्धन ड्रेन से पानी की योजना बनाई थी। करीब 44 करोड़ की लागत से बिछी पानी लाइन से घना को हर साल बरसात के दौरान करीब 350 एमसीएफटी मिलने की उम्मीद थी, लेकिन ड्रेन से पहले साल 2012-13 मेें 8, 2013-14 में 186 और 2014-15 में मात्र 3 एमसीएफटी ही पानी मिल सका। कम पानी मिलने का कारण ड्रेन में पानी की कमी थी। उत्तरप्रदेश की सीमा में जलस्तर बढऩे पर ही डे्रन से पानी मिल सकता है।

चंबल लिफ्ट परियोजना से इस वर्ष तय सीमा के अनुसार 62.5 एमसीएफटी पानी छोड़ा जाएगा। गोवर्धन ड्रेन शुरू होने के बाद यह व्यवस्था लागू हो गई थी।
राजेन्द्र अग्निहोत्री, अधिशासी अभियंता, चंबल लिपïट परियोजना

अभी दो दिन अच्छी
बरसात से घना में गड्ढों में पानी भरा है। कुछ पानी चंबल से भी लिया है। कम बरसात की स्थिति में चंबल व गोवर्धन डे्रन से पानी लिया जाएगा।
बिजो जोय निदेशक, घना