scriptराजस्थान में पहली बार हुआ ‘डिजिटल अरेस्ट’, महिला प्रोफेसर से ठगे 7.67 करोड़, इंटरनेशनल गैंग से जुड़े तार | 'Digital arrest' happened for the first time in Rajasthan, 7.67 crores were defrauded from a female professor, links to international gang | Patrika News
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राजस्थान में पहली बार हुआ ‘डिजिटल अरेस्ट’, महिला प्रोफेसर से ठगे 7.67 करोड़, इंटरनेशनल गैंग से जुड़े तार

पड़ताल में करीब दो सौ बैंक खातों की जानकारी सामने आई है। साथ ही इंटरनेशनल गैंग का हाथ होने की आशंका है।

जयपुरApr 22, 2024 / 03:18 pm

Anil Prajapat

ओमप्रकाश शर्मा

जयपुर। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये डिजिटल अरेस्ट कर महिला प्रोफेसर से 7.67 करोड़ रुपए ठगने वालों के तार विदेश तक जुड़े हैं। तीन माह में अलग-अलग ट्रांजेक्शन में की गई ठगी में इंटरनेशनल गैंग का हाथ होने की आशंका के कारण राजस्थान पुलिस ने मामले की जांच सीबीआई से कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए पुलिस मुख्यालय ने राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा है।
डिजिटल अरेस्ट का अपनी तरह का यह पहला मामला झुंझुनूं में दर्ज हुआ था। इसमें अपराधियों ने महिला प्रोफेसर को डरा पहले उनसे एक ऐप डाउनलोड करवाया और फिर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये उनसे पड़ताल करने लगे। उनसे हर दो घंटे में रिपोर्ट ली कि वह किन-किन से मिल रही है और कहां जा रही हैं। ठगी के दौरान रोज सेल्फ रिपोर्ट तक ली गई।
ठगी की शिकार महिला प्रोफेसर श्रीजाता डे के पास ठगों ने पहली बार 20 अक्टूबर 2023 को कॉल किया था। कॉल करने वाले ने अपने को दूरसंचार (ट्राई) का अधिकारी बताया और कहा कि महिला प्रोफेसर के नाम से जारी दूसरे मोबाइल नम्बर का साइबर क्राइम में उपयोग लिया गया है। इसके बाद कभी सीबीआइ, ईडी तो कभी मुंबई पुलिस अधिकारी बनकर कॉल किया और प्रोफेसर को डरा कर वीडियो कॉन्फ्रेंस पर बात की।
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डिजिटल वैरिफिकेशन के नाम पर अपराधियों ने रची झूठी कहानी

डिजिटल वैरिफिकेशन के नाम पर अपराधियों ने प्रोफेसर की पूरी सम्पत्ति अटैच करने की झूठी कहानी रची। प्रोफेसर ने खुद को बड़ी मुसीबत में मान आरोपियों के कहे अनुसार 29 अक्टूबर 2023 से 31 जनवरी 2024 तक 42 बार में 7.67 करोड़ रुपए विभिन्न खातों में जमा करा दिए। इसके लिए उन्होंने 80 लाख रुपए का बैंकों से लोन भी लिया। ठगों ने झांसा दिया कि सुप्रीम कोर्ट से मामला निस्तारित होते ही पूरी रकम वापिस उनके खाते में आ जाएगी।

सीबीआई जांच के लिए गृह विभाग को भेजा प्रस्ताव

फरवरी में झुंझुनूं में दर्ज मामले में ठगी की रकम और वारदात का तरीका देख डीजी साइबर क्राइम रविप्रकाश मेहरड़ा ने इस फाइल को स्टेट लेवल के साइबर क्राइम थाने में भेजा। वहां अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मोहेश चौधरी ने पड़ताल की। पड़ताल में करीब दो सौ बैंक खातों की जानकारी सामने आई है। साथ ही इंटरनेशनल गैंग का हाथ होने की आशंका है। ऐसे में इसकी जांच सीबीआई से कराने के लिए गृह विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है।

पुलिस महानिदेशक बोले-विदेश तक गया ठगी का पैसा

राजस्थान पुलिस महानिदेशक यूआर साहू ने कहा कि ठगी की रकम बहुत ज्यादा है। अनुसंधान में कि पैसा विदेश तक गया है ऐसी स्थिति में सीबीआइ जांच जरूरी समझी गई है। वहीं, साइबर क्राइम डीजी रवि प्रकाश मेहरड़ा ने बताया कि ठगी की रकम देखते हुए फाइल झुंझुनूं से ट्रांसफर की थी। लोगों को सचेत रहने की जरूरत है। ऐसे कॉल आने पर तत्काल थाने पहुंच कर पुलिस की मदद लेनी चाहिए।

क्या है डिजिटल अरेस्ट?

कानूनी भाषा में डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई शब्द नहीं है। यह ठगी करने का एक तरीका है। अपराधी वीडियो कॉलिंग या वीडियो कॉन्फ्रेंस कर किसी को घर में बंधक बना लेते हैं। वे हर वक्त नजर रखते हैं। सीबीआइ, इंडी जैसी एजेंसी के अधिकारी बनकर कहते हैं कि आपका आधार कार्ड, सिम कार्ड या बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किसी गैरकानूनी गतिविधि में हुआ है। ऐसे गम्भीर अपराध में फंसने का भय दिखाकर लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं।

ऐसे करें बचाव

पुलिस, सीबीआई, ईडी किसी भी एजेंसी के अधिकारी इस तरह कॉल नहीं करते। बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के आए कॉल पर तत्काल नजदीकी थाने पर सूचना दें। जिसी एजेंसी का नाम लिया जाता है उसके स्थानीय कार्यालय पर भी सम्पर्क किया जा सकता है।

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