
राजस्थान की चिरंजीवी योजना और राइट टू हैल्थ की पूरे देश में चर्चा है लेकिन एक गलतफहमी ने बहुत नुकसान कर दिया था। इसे चिकित्सकों ने अपने पर बेवजह ले लिया। डॉक्टर कहीं जाते हैं तो यह चर्चा होती है कि इस प्रदेश में राइट टू हेल्थ है। डॉक्टरों को भगवान का दर्जा दिया गया है। भगवान नाराज भी होते हैं लेकिन इतने नहीं कि मरीज को छोड़ ही दें। डॉक्टर काली पटटी बांध कर भी अपना विरोध दर्ज कर सकते थे।
यह बात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह बात चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से बुधवार को राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में विभाग में नवनियुक्त 1763 चिकित्सकों का शपथ ग्रहण समारोह को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि बातचीत होती तो हड़ताल 17 दिन की जगह सात दिन में ही खत्म हो जाती। 17 दिन की हड़ताल से राजस्थान पूरे देश में बदनाम हो गया।
एक डॉक्टर का तबादला करो, तो फोन आ जाता है
मुख्यमंत्री ने कहा कि नवनियुक्त चिकित्सक गांवों में जाएं और कुछ महीनों में ही ट्रांसफर की बात न करके वहां नौकरी करें और अपनी प्रसिद्धि बढ़ाएं। दस से बीस वर्ष में डॉक्टर का काफी नाम हो जाता है। यहां हर डॉक्टर एसएमएस में लगना चाहता है। ये आज से नहीं वर्षों से देख रहा हूं। एक डॉक्टर का तबादला करो तो हाइकोर्ट जज, पूर्व मुख्यमंत्री, मंत्री का फोन आ जाता है और सिफारिश होती है कि इस डॉक्टर को तो यहीं रखना होगा। गहलोत ने कहा कि कुछ भी हो जाए मैं ओपीएस और आरटीएच को लागू करके ही रहूंगा। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में राज हैल्थ पोर्टल का लोकार्पण भी किया।
पोस्ट कोविड से सतर्क रहें
गहलोत ने कहा कि पोस्ट कोविड के कारण आ रही बीमारियों को लेकर सतर्क रहें। कई जगह समाचारों में पढ़ा है कि चलते चलते किसी की मौत हो गई या शादी में नाचते नाचते किसी की मौत हो गई। राजस्थान में पोस्ट कोविड रिसर्च इंस्टीटयूट शुरू किया। इसके लिए 120 करोड़ का प्रावधान रखा है। चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि विभाग में काउंसलिंग से तबादले हुए। मैं मंत्री रहूं या नहीं रहूं, लेकिन डेपुटेशन पर पदस्थापन मंजूर नहीं है। आज प्रदेश की चिकित्सा सुविधाएं देश में सबसे ज्यादा मजबूत हैं। मुख्य सचिव उषा शर्मा ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
Published on:
20 Apr 2023 12:07 pm
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