द्रव्यवती नदी के सौंदर्यन पर 1600 करोड़ से अधिक खर्च हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद अब तक स्वच्छ पानी नदी में बहना शुरू नहीं हो पाया है। कुछेक जगह तो सीवर का गंदा पानी ही सीधे नदी में गिर रहा है। जबकि, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश हैं कि शोधित करने के बाद ही […]
द्रव्यवती नदी के सौंदर्यन पर 1600 करोड़ से अधिक खर्च हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद अब तक स्वच्छ पानी नदी में बहना शुरू नहीं हो पाया है। कुछेक जगह तो सीवर का गंदा पानी ही सीधे नदी में गिर रहा है। जबकि, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश हैं कि शोधित करने के बाद ही सीवर के पानी को बहाया जा सकता है। इस पर जेडीए ध्यान नहीं दे रहा है। लोग गंदगी न डालें, इसके लिए पुलिया और रपट पर लोहे की जालियां लगाना शुरू कर दिया।
ये जरूरत बताई
-जेडीए अधिकारियों का कहना है कि जिन इलाकों से नदी गुजर रही है, वहां लोग कचरा फेंकते हैं। दूषित न हो, इसके लिए जालियां लगवाई जा रहीं हैं।हो रहा ये
-सुशीलपुरा पुलिया पर सीवरेज का गंदा पानी सीधे नदी में गिर रहा है। यहां एसटीपी प्रस्तावित है, लेकिन जेडीए तीन वर्ष में भी जमीन की तलाश पूरी नहीं कर पाया।-मानसरोवर में करतारपुरा नाला सीधे नदी में गिर रहा है। इसमें गंदगी आ रही है। जेडीए अब तक इसका समाधान नहीं कर पाया है।इस तरह हो रहा काम
हसनपुरा पुलिया, पुरानी चुंगी पुलिया से लेकर रिद्धि-सिद्धि हाईलेवल ब्रिज से लेकर करीब 12 जगह पर जालियां लगाई जा चुकी हैं। 25 जगह लगाया जाना प्रस्तावित है।
यों समझें
-170 एमएलडी क्षमता के 5 एसटीपी संचालित हैं नदी किनारे-शोधित होने के बाद मानकों के अनुरूप पानी बहने का दावा करता है जेडीए
-सीवरेज का पानी सीधा नदी में आने और औद्योगिक क्षेत्र का पानी आने से बिगड़ रहे पानी के मानक