अपने पल्लू से आंसू पौंछते हुए वह बोली, जब पति श्योराम शहीद हुए थे, तब कई वादे किए गए थे। किसी ने कहा था कि नायब तहसीलदार बनवा देंगे, किसी ने कहा कि व्याख्याता लगवा देंगे, लेकिन अब कोई आंसू पौंछने नहीं आ रहा। मैं खुद एमए-बीएड हूं। मैं परिवार के किसी सदस्य के लिए नौकरी नहीं मांग रही। मैं तो मेरा हक मांग रही हूं, लेकिन ना जनप्रतिनिधि सुन रहे हैं और ना ही अधिकारी।
दोनों बेटे पूछते हैं सवाल
जब श्योराम देश के लिए शहीद हुए, उस समय बड़ा बेटा खुशांक करीब चार साल का था। छोटे बेटे ने पिता के शहीद होने के करीब एक माह बाद जन्म लिया। वीरांगना का कहना है कि अब दोनों बच्चे पूछते हैं कि पापा खुद की जान देने में जरा भी नहीं झिझके तो सरकार पापा की जगह आपको नौकरी देने में इतना समय क्यों लगा रही है।
लिया था पुलवामा का बदला
झुंझुनूं जिले के टीबा गांव निवासी हवलदार श्योराम गुर्जर ने 18 फरवरी 2019 को वीरता दिखाते हुए आतंकी कामरान व उसके तीन सहयोगियों को कश्मीर के निकट पिंगलिना में मार गिराया था। इस दौरान गोली लगने से श्योराम शहीद हो गए थे। पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर हमला करने वाला गुनहगार आतंकी अब्दुल रशीद गाजी उर्फ कामरान था। वह जैश का टॉप कमांडर था।
यह है कारण
शिक्षक की नौकरी के लिए अधिकारी रीट का प्रमाण पत्र मांग रहे हैं। वीरांगना का कहना है कि मैंने रीट उत्तीर्ण कर ली, बाद में पेपर आउट हो गया। परीक्षा उत्तीर्ण कर लूंगी तो अपने आप नौकरी लग जाएगी, फिर सरकार की क्या मेहरबानी रहेगी?
मिला था सेना मेडल
तत्कालीन थल सेना अध्यक्ष ने श्योराम को आर्मी डे पर मरणोपरांत सेना मेडल प्रदान किया था, जिसे 15 जनवरी 2020 को शहीद वीरांगना सुनीता गुर्जर ने प्राप्त किया था।
नामकरण कर दिया है
शहीद श्योराम गुर्जर के नाम पर राजकीय स्कूल टीबा का नामकरण कर दिया गया है। वीरांगना की नौकरी के लिए मैं स्वयं शीघ्र ही मुख्यमंत्री से मिलूंगा। जल्द ही नौकरी दिलवाई जाएगी।
-डॉ.जितेन्द्र सिंह, सलाहकार मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार