
राजस्थान की राजनीति का भविष्य तय करेगी 26 दिसंबर
जयपुर। केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ लगातार 26वें दिन किसानों का आंदोलन जारी है। सर्द रात में अपनी मांगों को लेकर किसान सड़कों पर अड़े हैं। पांच दौर की वार्ता विफल रही है। वहीं किसान आंदोलन की आंच अब राजस्थान की राजनीति पर भी असर डाल रही है और इस लिहाज से 26 दिसंबर का दिन अहम साबित होगा।
आपको बता दें कि किसान कानून को वापस लेने से कम में मानने को तैयार नहीं हैं। अब किसानों ने सरकार को खुला पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने भूख हड़ताल करने का एलान किया है। दूसरी ओर सरकार ने भी 40 किसान संगठनों के नाम पत्र लिखा है जिसमें उन्हें एक बार फिर वार्ता का निमंत्रण दिया गया है।
इससे पहले किसानों से वार्ता के लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में मंत्रिस्तरीय एक समिति गठित की थी। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और सोमप्रकाश इसके सदस्य हैं। सरकार से किसानों की अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है जो विफल रही है। किसान संगठनों की एक बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ भी बैठक हो चुकी है, लेकिन उसका नतीजा भी शून्य रहा है।
इसलिए अहम है 26 दिसंबर
वहीं राजस्थान में भी अब इन कानूनों के खिलाफ आवाज बुलंद होने लगी है। भाजपा के सहयोगी दल ने इन कानूनों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एनडीए के सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने ऐलान किया है कि किसान आंदोलन के समर्थन में 26 दिसंबर को उनकी पार्टी दो लाख किसानों को लेकर राजस्थान से दिल्ली मार्च करेगी।
यह दिन इसलिए भी अहम है, क्योंकि बेनीवाल ने यह भी कहा कि उसी दिन यह भी फैसला लिया जाएगा कि अब एनडीए में रहना है या नहीं। आपको बता दें कि इससे पहले बेनीवाल ने किसान आंदोलन के समर्थन में संसद की तीन समितियों की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। बेनीवाल ने संसद की उद्योग संबंधी स्थायी समिति, याचिका समिति व पेट्रोलियम व गैस मंत्रालय की परामर्श समिति से इस्तीफा दिया है।
Updated on:
21 Dec 2020 01:54 pm
Published on:
21 Dec 2020 01:45 pm
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