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वो ही मेरा ‘भगवान’: क्या है Halo Effect, लोगों को कैसे बना रहा ‘मेंटल’?, Video में साइकेट्रिस्ट से जानें सबकुछ

एसएमएस अस्पताल जयपुर के मनोचिकित्सक डॉ धर्मदीप सिंह का कहना है कि फिजिकल अपीयरेंस अक्सर हेलो इफेक्ट का हिस्सा बनते हैं। कोई इंसान जब किसी दूसरे इंसान से पहली बार मिल रहा हो, तब हेलो इफेक्ट के चांसेज अधिक होते हैं।

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जयपुर

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Savita Vyas

Nov 29, 2024

Halo Effect

सविता व्यास
जयपुर। 13 साल के विनीत पर क्रिकेट का इस कदर जुनून सवार था कि वो विराट कोहली को अपना भगवान मान बैठा। शुरुआत में तो उसके इस व्यवहार को घरवालों ने सामान्य माना, लेकिन जब कोई भी कोहली के खिलाफ बोलता तो वो अपना आपा खो बैठता। उसके व्यवहार को लेकर कई बार पैरेंट्स को शर्मिदगी भी उठानी पड़ी। मनोचिकित्सक से परामर्श पर पता चला कि युवराज हेलो इफेक्ट का शिकार था, जो कि बिहेवियर डिसऑर्डर है।

15 साल की तनीषा और उसकी स्कूल फ्रेंड्स पर म्यूजिकल बैंड का जुनून इस कदर सवार था कि दिन-रात सिंगर की ही बातें करती रहती थी। जब किसी शहर में म्यूजिकल कॉन्टेस्ट का पता चला तो घरवालों से चोरी-छिपे जाने की प्लानिंग तक बना ली। वहां पहुंचती उससे पहले ही पैरेंट्स को इसकी भनक लग गई। पकड़े जाने पर लड़कियों का पारा इतना हाई हो गया कि उनको संभालना तक मुश्किल हो गया। डॉक्टर्स से काउंसलिंग में पता चला कि किसी भी सेलिब्रिटी को लेकर अक्सर लोग अपने मन में धारणा बना लेते हैं। ऐसेे में वो मानने लगते हैं​ कि निश्चित तौर पर वह बढ़िया इंसान होगा।

क्या है हेलो इफेक्ट
किसी ख़ास व्यक्ति को बहुत अच्छा मान लेना व्यक्ति का एक प्रकार का बिहेवियर डिसऑर्डर है, जिसे विशेषज्ञ हेलो इफ़ेक्ट का नाम देते हैं। हेलो इफेक्ट एक प्रकार का संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह है। इसमें हम किसी ख़ास व्यक्ति के बारे में यह अनिवार्य रूप से मान लेते हैं कि वह अच्छा ही होगा। वह व्यक्ति विशिष्ट गुणों से लैस होगा। किसी व्यक्ति के प्रति पूर्वाग्रह उसके पूरे व्यक्तित्व के मूल्यांकन को प्रभावित कर देती है। ठीक इसी तरह का पूर्वाग्रह लोग खिलाड़ियों, अभिनेता और अभिनेत्रियों को लेकर भी पाल लेते हैं। आमतौर पर एजुकेशन और वर्क प्लेस, ये दो स्थान हैं, जहां के लोग हेलो इफेक्ट से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। साउथ इंडिया में ‘हेलो इफेक्ट’ के कारण ही अभिनेत्रियों के मंदिर बनाकर लोग उन्हें पूजने लग जाते हैं।

सुधा मूर्ति ने किया था हेलो इफेक्ट का जिक्र
इंफोसिस को फाउंडर और मशहूर लेखिका सुधा मूर्ति ने भी हेलो इफेक्ट का जिक्र किया था। उन्होंने बताया था कि एक प्रोग्राम के सिलसिले में जब एयरवेज में यात्रा कर रही थीं। इस दौरान एक सहयात्री ने उन्हें सामान्य कपड़ों में देखकर अपना मुंह बुरा-सा बना लिया था। दरअसल वे हेलो इफेक्ट के शिकार थे। उनके मन में यह धारणा बैठी थी कि बिजनेस टायकून लकदक कपड़े और लटके-झटके दिखाने वाले होते हैं।

एसएमएस अस्पताल जयपुर के मनोचिकित्सक डॉ धर्मदीप सिंह का कहना है कि फिजिकल अपीयरेंस अक्सर हेलो इफेक्ट का हिस्सा बनते हैं। कोई इंसान जब किसी दूसरे इंसान से पहली बार मिल रहा हो, तब हेलो इफेक्ट के चांसेज अधिक होते हैं। अगर कोई व्यक्ति बहुत ही अधिक आकर्षक या फिर इंटेलीजेंट होता है तो लोग उस आधार पर उसको जज कर लेते हैं। वहीं, धार्मिक गुरुओं से भी सबसे अधिक लोग प्रभावित होते हैं। जबकि अधिकांश मामलों में धरातल पर हकीकत कुछ और ही होती है।

बचाव के उपाय
किसी से पहली बार मिल रही हैं, तो उसके बारे में अच्छा या बुरा पूर्वाग्रह तुरंत न पालें। किसी के भी करेक्टर के बारे में कुछ भी तुरंत निर्णय नहीं लेने का प्रयास आपके पूर्वाग्रह की आदत को कम कर सकता है।
अपने आप को याद दिलाएं कि एक बार जब उस व्यक्ति के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर ली जाए, तभी उसकी सटीक छवि मिल सकती है।
कभी भी एक-दूसरे की तुलना नहीं करें। हरेक व्यक्ति की अपनी-अपनी खासियत जरूर होती है।
बच्चों में अगर किसी भी शख्स या सेलिब्रिटी को लेकर दीवानगी नजर आएं तो उसे हल्के में न लें। उसके मन से उस अवधारणा को बाहर निकालकर हकीकत से रूबरू कराने का प्रयास करें।