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प्रदेश में बीते एक दशक के दौरान तेजी से घटा लिंगानुपात एक बार फिर उतार की ओर है। वर्ष 2014 में राज्य में प्रति एक हजार पुरुषों पर महिलाओं का अनुपात 924 था। जो वर्ष 2018-19 तक 24 अंकों की बढ़ोत्तरी के साथ 948 पहुंच गया। लेकिन इसके बाद एक बार फिर यह उतार पर है। बीते पांच वर्ष में यह अनुपात घटत के साथ 2022-23 में 946 रह गया है। इस दौरान दो वर्ष से अधिक समय कोविड काल में बीता। वहीं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की डिकोय ऑपरेशन में रूचि भी घट गई। ये दोनों ही इसके बड़े कारण माने जा रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2013-14 में देश का लिंगानुपात 918 था, जो 2018-19 में 932 पहुंचा। अब 2022-23 में मामलूी बढ़त के साथ 233 है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के हैल्थ मैनेजमेंट इनफोरमेशन सिस्टम की वार्षिक रिपोर्ट में यह आंकड़े सामने आए हैं।
सख्ती से आई थी कमी
प्रदेश में पीसीपीएनडीटी ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन थाना खुलने के बाद वर्ष 2013 से 2018 के बीच अवैध भ्रूण परीक्षण के खिलाफ सघन अभियान चलाया गया। उस दौरान 150 से अधिक डिकोय ऑपरेशन किए गए। पकड़े गए लोग जेल गए। लेकिन इसके बाद पांच वर्ष में मात्र 27 डिकोय ऑपरेशन ही संचालित हो पाए।
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2013-14
भारत 918
राजस्थान 924
2014-15
918
929
2015-16
923
929
2016-17
926
938
2017-18
929
045
2018-2019
932
948
2019-2020
935
948
2020-2021
937
946
2021-2022
934
946
2022-2023
933
946
Published on:
21 Nov 2023 01:08 pm
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