
हैरिटेज को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग कर रहा अब ये पहल, हैरिटेज संपत्तियों के लिए अच्छी खबर
Tourism department जयपुर। हैरिटेज को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग ने नई पहल शुरू की है। विभाग हेरिटेज सम्पत्तियों को प्रमाण-पत्र जारी कर रहा है। Heritage Properties Certificate इसके साथ ही पर्यटन विभाग अपनी विभागीय वेबसाइट के माध्यम से इन सम्पत्तियों का प्रचार-प्रसार भी करेगा। विभाग ने अब तक ऐसी 143 हैरिटेज संपत्तियों को प्रमाण पत्र जारी किए है।
पर्यटन विभाग की निदेशक डॉ. रश्मि शर्मा ने बताया कि पर्यटन विभाग की ओर से अभी तक 143 हेरिटेज सम्पत्तियों को प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। ये हेरिटेज सम्पत्तियां देशी-विदेशी पर्यटकों के साथ-साथ डेस्टीनेशन वेडिंग और फिल्म शूटिंग लोकेशन के रुप में बहुत लोकप्रिय हैं। साथ ही विभागीय वेबसाइट के माध्यम से इन सम्पत्तियों का प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से निजी स्वामित्व की हेरिटेज संपत्तियों के संरक्षण और इन संपत्तियों को हेरिटेज होटल एवं अन्य पर्यटन इकाइयों के रुप में उपयोग को बढ़ावा देने के लिए हेरिटेज प्रमाण-पत्र प्रदान करने की योजना लागू की गई है। देशभर में संचालित हेरिटेज होटलों में से दो तिहाई से अधिक हेरिटेज होटल राजस्थान राज्य में है। पर्यटन विभाग की ओर से राजकीय सम्पत्तियों को भी हेरिटेज प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाता है।
रियायतें भी दे रहा विभाग
पर्यटन विभाग की निदेशक डॉ. शर्मा ने बताया कि इन हेरिटेज होटलों के संचालन के लिए राज्य सरकार की ओर से कई प्रकार के रियायतें दी जा रही है, इनमें संपरिवर्तन शुल्क, आबकारी बार लाइसेन्स शुल्क, स्टाम्प ड्यूटी और शहरी विकास कर में छूट उपलब्ध करवाये जा रहे है।
हैरिटेज का संरक्षण आज की जरूरत
पर्यटन विभाग की निदेशक डॉ. शर्मा का कहना है कि प्रदेश में स्थापत्य विरासत के रूप में किले, महल, हवेलियां आदि बहुतायत में उपलब्ध है, इन पुरासम्पत्तियों में से ज्यादातर सम्पत्तियां निजी स्वामित्व की है, जिनका संरक्षण वर्तमान समय की महत्ती आवश्यकता है।
विरासत को बढ़ावा देने का प्रयास
हर साल 18 अप्रेल को वर्ल्ड हेरिटेज डे को संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। साथ ही यह दिवस देश-प्रदेश की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहरों को सुरक्षित रखने, उनके सवर्धन और संरक्षण के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए मनाया जाता है, ताकि लोग अपनी संस्कृति और परम्परा को करीब से समझ सकें।
Published on:
19 Apr 2022 01:08 pm
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