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Jaipur Farmer Movement : गांधीवाद के शोर में सत्याग्रह क्यों बेअसर, देखिए

- नींदड़ जमीन समाधि सत्याग्रह : 5 किसान आमरण अनशन पर - आमरण अनशन का आज दूसरा दिन, काश्तकार अपनी मांगों पर अड़े

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जयपुर

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Pawan kumar

Mar 15, 2020

kisan andolan jaipur

kisan andolan jaipur

जयपुर। क्या सरकारों का गांधीवाद सिर्फ दिखावा है, ये सवाल इसलिए उठा है क्योंकि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार और राज्य की अशोक गहलोत सरकार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंति को जोरशोर से मना रही है। दोनों ही सरकारों ने महात्मा गांधी की जयंति अवसर पर बड़े—बड़े कार्यक्रम आयोजित किए। लेकिन बापू का प्रिय हथियार रहे सत्याग्रह का सरकार पर कोई असर नहीं पड़ रहा। यहां बात नींदड़ में किसानों के जमीन समाधि सत्याग्रह की हो रही है।

आलम ये है कि नींदड़ में किसान तीसरी बार 16 दिन से जमीन समाधि सत्याग्रह कर रहे हैं। लेकिन ना तो जयपुर विकास प्राधिकरण पर सत्याग्रह का कोई असर हुआ और ना ही राज्य की अशोक गहलोत सरकार पर। वो भी तब जब राज्य सरकार महात्मा गांधी की 150वीं जंयति को जोरशोर से मना रही है। देश को आजादी दिलाने में अंग्रेजों के खिलाफ कारगर हथियार रहे सत्याग्रह को अपनी ही सरकार के आगे बेअसर होता देख धरती पुत्र अब आमरण अनशन की राह पर चल पड़े हैं। जयपुर विकास प्राधिकरण और राज्य सरकार के प्रति आक्रोश से भरे किसानों ने आमरण अनशन शुरू कर दिया है। नींदड़ जमीन समाधि सत्याग्रह के साथ ही 5 किसान आमरण अनशन कर रहे हैं।

जानकारी के अनुसार संघर्ष समिति के अध्यक्ष कैलाश बोहरा, सीताराम शर्मा, मुकेश शर्मा, सूरज नारायण बोहरा तथा शिशुपाल शर्मा ने शनिवार से आमरण अनशन शुरू किया है। नींदड़ में जमीन समाधि सत्याग्रह का आज 16 वां दिन है। आज भी 101 किसान जमीन समाधि में बैठे हैं। इनमें 41 महिला किसान शामिल है। आंदोलन कर रहे किसानों का कहना है कि जल्द ही किसान महापंचायत बुलाई जाएगी। किसान महापंचायत में हजारों की तादाद में किसान जमीन समाधि सत्याग्रह पर बैठने का निर्णय लेंगे। सरकार किसानों की आवाज नहीं सुन रही है।

नींदड़ किसान आंदोलन के अगुवा डॉ नगेन्द्र शेखावत का कहना है कि जेडीए और राज्य सरकार की ओर से जो वादा किया गया था, वो पूरा नहीं किया जा रहा। किसानों ने सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी के वादे पर जमीन समाधि सत्याग्रह निलम्बित किया था। वादाखिलाफी होने पर अब फिर से किसान जमीन समाधि लेने को मजबूर हो रहे हैं। साथ ही आमरण अनशन भी किया जा रहा है।








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