नवम्बर 2017 की स्वीकृत संशोधित डीपीआर में 2014 में दोनों कॉरिडोर अस्तित्त्व में थे। पहले 2 वर्ष में किराए से आय 164 करोड़ दोनों कॉरिडोर संचालन में होने पर अनुमानित की गई। इसलिए कैग द्वारा 19.17 प्रतिशत, किराया आय 9.87 प्रतिाशत की गणना वास्तविकता से दूर कल्पना पर आधारित है।
फेज 1-ए और फेज 1-बी का अप्रेल 2017 में संचालन होना बताया था तो वर्ष 2017-18 में किराया आय 167 करोड़ रुपए तथा यात्रीभार 2.10 लाख अनुमानित किया गया। यह तथ्य दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने पहले ही स्वीकार कर लिए और जयपुर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने इसे अंकित भी किया।
– रियल एस्टेट फेज एक की संशोधित डीपीआर में 850 करोड़ की अनुमानित लागत से रियल एस्टेट के जरिए कमाई का ख्वाब दिखाया गया। इसमें 5 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि भी बताई। नवम्बर 2010 से जून 2011 के बीच जेएमआरसी को सम्पत्ति विकास के लिए 3.01 लाख वर्गमीटर के 8 भूखंड दिए ताकि व्यावसायिक गतिविधि के लिए विकसित किया जा सके। लेकिन हुआ कुछ भी नहीं।
– डीपीआर में मानसरोवर डिपो में स्टेबलिंग यार्ड के बेसमेंट में दो मंजिला भूमिगत पार्किंग के लिए प्रावधान नहीं था। लेकिन 4000 वाहनों के लिए 60 करोड़ की अतिरिक्त लागत से 133.30 करोड़ की आय का ख्वाब दिखाया गया। इसमें स्टेबलिंग यार्ड के ऊपर मॉल, व्यावसायिक होटल या वाणज्यिक टावर निर्माण की जरूरत जताई। इसके लिए अक्टूबर 2014 में 22.54 करोड़ की लागत से यार्ड के नीचे दोस्तरीय भूमिगत पार्किंग बनाई।
– फेज 1-ए के सभी 9 स्टेशनों पर फूड कोर्ट, एटीएम कियोस्क, स्टॉल के इच्छुक व्यवसायियों को पट्टे देने के लिए 8318 वर्गमीटर जगह चिह्नित की गई। प्रभावी प्रयास की बजाय जेएमआरसी ने एटीएम के लिए 157.51 वर्गमीटर जगह लीज पर दे 2.63 करोड़ की ही आय हुई।