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Rajasthan: अब नहीं होंगे राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव! नेताओं का हो गया ये बड़ा नुकसान

Student Union Election: राजस्थान सरकार ने इस साल अभी तक छात्रसंघ चुनाव नहीं कराए हैं। चुनाव नहीं होने से उन छात्रों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, जो पिछले तीन साल से तैयारियों में जुटे हुए थे।

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Student Union Election: राजनीति में अपना भविष्य तलाश रहे युवाओं की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने इस साल भी अभी तक छात्रसंघ चुनाव (Student Union Election) नहीं कराए हैं। छात्रसंघ चुनाव नहीं होने से उन छात्रों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, जो पिछले तीन साल से चुनाव (Student Union Election) की तैयारियों में जुटे हुए थे। ये युवा राजनीति की पहली सीढ़ी चढ़ने से पहले ही दौड़ से बाहर हो गए। इससे एक ओर से जहां राजनीति में करियर बनाने की योजना फेल हो गई। वहीं, दूसरी ओर इन छात्रों को आर्थिक झटका भी लगा है।

तीन साल में लगा दिए 20 से 25 लाख

राजस्थान यूनिवर्सिटी में चुनाव की तैयारी कर 50 से अधिक छात्रों ने तीन वर्ष में 20 से 25 लाख रुपए तक दावेदारी में खर्च कर दिए। इन युवाओं ने धरना -प्रदर्शन से लेकर रैली, आयोजन, वाहनों और छात्रों की मदद के नाम पर खूब पैसे खर्च कर दिए। लगातार दो वर्ष से चुनाव नहीं होने से अब छात्र ओवरएज हो गए हैं।

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यूनिवर्सिटी में गुम हुई रौनक

यूनिवर्सिटी में जुलाई में प्रवेश के दौरान जो रौनक देखने को मिल रही थी, अब गायब हो गई है। प्रवेश के दौरान छात्र नेताओं ने जगह-जगह काउंटर लगाए थे। छात्रों की मदद के लिए युवा नेताओं की टीम काम कर रही थी। छात्र मुद्दों को उठाया जा रहा था। आए दिन धरना-प्रदर्शन शुरू किए थे लेकिन अब चुनाव की बात खत्म होने के बाद रौनक गायब हो गई है।

21 सालों में नौ बार चुनाव पर लगी रोक

राजस्थान यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव की बात करें तो 2003 के बाद अभी तक नौ बार चुनाव पर रोक लगी रही। 2004 में छात्रसंघ चुनाव के बाद सबसे अधिक पांच साल तक रोक लगी रही। इसके बाद 2010 में छात्रसंघ चुनाव शुरू हुए। 2018 तक लगातार चुनाव हुए। लेकिन इसके बाद दो साल फिर चुनाव बंद रहे। 2022 में छात्रसंघ चुनाव कराए गए थे। इसके बाद अभी तक रोक लगी है।

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NSUI और ABVP ने जताई नाराजगी

एनएसयूआइ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद जाखड़ का कहना है कि छात्रसंघ चुनाव युवा नेतृत्व को उभरने का एक मौका देते हैं। इसे बंद करने से युवाओं के नेतृत्व और राजनीतिक समझ को कमजोर किया जा रहा है। युवा राजनीति में भी अपना करियर बनाना चाहते हैं। अगर उन्हें मौका नहीं मिलेगा तो फिर युवाओं का रुझान ही इस क्षेत्र में नहीं रहेगा।

वहीं, एबीवीपी के केन्द्रीय कार्यकारिणी सदस्य भारत भूषण यादव का कहना है कि छात्रसंघ चुनाव राजनीति की पहली सीढ़ी कहलाती है। लेकिन बार-बार चुनाव पर रोक लगाकर इस क्षेत्र में मिलने वाले अवसरों को खत्म किया जा रहा है। राजनीति में अच्छी सोच के साथ युवा आएंगे तो बदलाव भी देखने को मिलेगा।

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