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20 हजार किमी पैदल चल जयपुर पहुंचे किरण की प्रेरणादायक कहानी, जानें क्या है उनका मकसद?

Public Awareness : हौंसला बुलंंद हो तो व्यक्ति हर मंजिल को हासिल कर सकता है, भले ही रास्ते में कितनी भी मुश्किलें क्यों न आए। इच्छा शक्ति से ही नामुमकिन काम को मुमकिन किया जा सकता है। ऐसा ही हौंसला मूलत: दिल्ली निवासी 39 वर्षीय किरण वर्मा में देखने को मिला है। वो रक्तदान के प्रति लोगों को जागरूकता करने के लिए रोजाना आठ से 10 घंटे में 25 से 50 किलोमीटर पैदल चल रहे हैं।

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जयपुर : हौंसला बुलंंद हो तो व्यक्ति हर मंजिल को हासिल कर सकता है, भले ही रास्ते में कितनी भी मुश्किलें क्यों न आए। इच्छा शक्ति से ही नामुमकिन काम को मुमकिन किया जा सकता है। ऐसा ही हौंसला मूलत: दिल्ली निवासी 39 वर्षीय किरण वर्मा में देखने को मिला है। वो रक्तदान के प्रति लोगों को जागरूकता करने के लिए रोजाना आठ से 10 घंटे में 25 से 50 किलोमीटर पैदल चल रहे हैं। दिसम्बर 2021 से केरला के त्रिवेंद्रम से शुुरुआत कर तमिलनाडु, गुजरात समेत 21 राज्यों के कुल 250 से ज्यादा जिलों में यह अलख जगा चुके हैं।

बुधवार को किरण 20 हजार 600 किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर जयपुर पहुंचे हैं। राजस्थान पत्रिका रिपोर्टर से बातचीत में किरण ने बताया कि उनका उद्देश्य देश में अगले साल के अंत तक 5 मिलियन रक्तदाताओं को तैयार करना है ताकि देश में किसी भी मरीज को ब्लड का इंतजार न करना पड़े और ब्लड के अभाव में किसी की भी जान नहीं जाए। किरण को कॉमेडियन कपिल शर्मा के शो में भी आमंत्रित किया गया था। जहां उनकी सराहना की गई।

अब तक कर चुके 48 बार कर रक्तदान

किरण हर साल रक्तदान करते हैं। अब तक 48 बार रक्तदान कर चुके हैं। पैदल यात्रा के दौरान भी उन्होंने चार बार रक्तदान किया है। वो जिस भी शहर में पहुंचते हैं, उससे पहले वहां के लोगों को सोशल साइट्स के जरिए संपर्क करते हैं। उन्होंने कई जगह रक्तदान शिविर भी लगवाए हैं। स्कूल, कॉलेज में स्टूडेंट्स को भी अवेयर कर रहे हैं।

पता चला कि बेच दिया खून, तब ठानी

किरण ने बताया कि वर्ष 2016 में उनके पास किसी का कॉल आया कि उसके परिचित को एक यूनिट ब्लड की जरुरत है। उन्हें पता चला कि जिसने उनसे मदद मांगी थी, उसने ब्लड के बदले में जरुरतमंद से पैसे ले लिए। इसके बाद कोरोना काल में प्लाज्मा की जरुरत पड़ी थी। ब्लड बैंकों में किल्लत हो गई थी। उस वक्त लोग आनाकानी कर रहे थे। अभाव में एक बच्चे की मौत हो गई थी। इन दोनों घटनाओं के कारण उन्होंने यह ठाना और शुरुआत की। इसके लिए उन्होंने एक निजी कंपनी में मार्केटिंग हेड की नौकरी भी छोडऩी पड़ी। इस पहल में उनकी पत्नी का भी अहम योगदान है।

ऐप के जरिए पहुंचा रहे मदद

उन्होंने बताया कि वो एक निजी संस्था भी चला रहे हैं। जरुरतमंदों को ब्लड उपलब्ध करवा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने ऐप भी बना रखा है। जिस पर 2 लोग से ज्यादा लोग पंजीकृत है। दावा है कि 40 हजार से ज्यादा लोगों की मदद कर चुके है। इसके अलावा दिल्ली में हर दिन 1 हजार लोगों को मात्र 10 रुपए में भोजन उपलब्ध करवा रहे हैं।