
मुश्किल परिस्थितियों में भी नहीं टेके घुटने, फिर बनें सफल उद्यमी
इनका जन्म 1894 में जापान के वाकायामा प्रांत में हुआ था। पिता गांव के जमींदार थे। इसलिए इनके लालन-पालन में भी किसी तरह की कोई कमी नहीं थी लेकिन किसे पता था कि अब ये वैभव और सुख कुछ दिनों के ही रह गए है। अचानक से दिन ऐसे फिरे की एक ही झटके में इनका सबकुछ बदल गया। 1899 में पिता के निवेश का एक निर्णय इतना गलत साबित हुआ कि परिवार को सबकुछ बेचकर किसी अन्य स्थान पर जाना पड़ा। इनका परिवार अब ऐसी जगह पर रहने के लिए मजबूर हो गया, जहां मानव जीवन की आधारभूत सुविधाएं भी नहीं थी। परिवार के आर्थिक हालातों को देखते हुए बीच में ही पढ़ाई छोडक़र नौ वर्ष की आयु में इन्होंने छोटे-मोटे काम करना शुरू किया। इस दौरान इन्हें एक दुकान में नौकरी मिल गई। अब जीवन बिल्कुल बदल चुका था। सूरज की पहली किरण के साथ ही ये उठते और दुकान के कामों में व्यस्त हो जाते। दुकान के साथ ही मालिक के घरेलू काम भी किया करते थे। ये अपना काम पूरी ईमानदारी और मेहनत से कर रहे थे लेकिन दुकान में अच्छा मुनाफा न होने के कारण मालिक ने एक साल बाद ही इन्हें नौकरी से निकाल दिया।
फिर कमाया दुनियाभर में नाम
घर के हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे थे। ऐेसे में सबने इन्हें फिर से नौकरी करने की सलाह दी लेकिन अपने प्रोडक्ट पर इतना विश्वास था कि ये परिस्थितियों के आगे घुटना टेकने को तैयार नहीं दे। इनकी इसी जिद्द को देखते हुए एक दिन किस्मत भी बदल गई जब इन्हें एक हजार पीसेस का पहला ऑर्डर मिला। इसके बाद इन्होंने जीवन में कभी पीछे मुडक़र नहीं देखा। इनके प्रोडक्ट की अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मांग होने लगी। आज इस कंपनी में हजारों लोग काम करते हैं और इसका टर्न ऑवर भी बिलियन डॉलर्स में है। यह व्यक्ति कोइ्र और नहीं बल्कि पैनासॉनिक कंपनी के संस्थापक कोनोसुके मात्सुशिता थे। 1989 में 94 साल की उम्र में इनका निधन हो गया था, उस समय कंपनी का रेवेन्यू बिजनेस 42 बिलियन यूएस डॉलर था।
Published on:
15 Jul 2020 07:08 pm
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