कोटपूतली-बहरोड़ जिले से होकर गुजर रहे देश के सबसे व्यस्ततम नेशनल हाइवे 48 पर सड़क मरम्मत कार्य को अभी दो महीने भी नहीं बीते और जयपुर से दिल्ली की ओर जाने वाली लेन पर जगह-जगह डामर उधड़ने लगा है। कोटपूतली से लेकर नीमराना पार तक सड़क की हालत बदतर हो चुकी है।
- सवालों के घेरे में करोड़ों की सड़क मरम्मत, दुर्घटनाओं का बना खतरा
- जगह-जगह 6 इंच से लेकर 1 फुट तक उबड़-खाबड़ सड़क, जिम्मेदारों पर उठे सवाल
जयपुर। कोटपूतली-बहरोड़ जिले से होकर गुजर रहे देश के सबसे व्यस्ततम नेशनल हाइवे 48 पर सड़क मरम्मत कार्य को अभी दो महीने भी नहीं बीते और जयपुर से दिल्ली की ओर जाने वाली लेन पर जगह-जगह डामर उधड़ने लगा है। कोटपूतली से लेकर नीमराना पार तक सड़क की हालत बदतर हो चुकी है। कई स्थानों पर डामर इकट्ठा होकर 6 इंच से लेकर 1 फुट तक की उबड़-खाबड़ सतह बना चुका है जो वाहन चालकों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। हैरानी की बात यह है कि जिस हाईवे पर हजारों करोड़ की लागत से हर साल रखरखाव का काम होता है वहां इतनी जल्दी डामर इकट्ठा हो जाने से बने गड्ढे और दरारें किस गुणवत्ता की पोल खोल रहे हैं? कोटपूतली से जैसे ही हाईवे पर प्रवेश करते हैं वहां से लेकर नीमराना से आगे तक स्थिति भयावह है। खासकर एक तरफ की लेन में डामर की सतह उबड़-खाबड़ बन चुकी है। कहीं-कहीं 6 इंच तो कहीं एक फीट तक डामर इकट्ठा हो गया है जिससे वाहनों का संतुलन बिगड़ने का खतरा हमेशा बना रहता है।
हाइवे या मौत का रास्ता?
तेज गति से दौड़ते ट्रक, कार और दोपहिया वाहन जब उखड़े डामर पर संतुलन खोते हैं तो जानलेवा हादसों की आशंका और बढ़ जाती है। सबसे हैरानी की बात यह है कि यह मरम्मत कार्य महज 2 महीने पहले हुआ था जिसकी गुणवत्ता अब गंभीर सवालों के घेरे में है।स्थानीय लोगों और वाहन चालकों का कहना है कि यह निर्माण कार्य मात्र 'कागजों पर गुणवत्ता' दिखाने वाला रहा है। प्रशासन और विभाग केवल फोटो खिंचवाकर मरम्मत कार्य दिखा देते हैं लेकिन हकीकत में घटिया सामग्री और लापरवाही से राहगीरों की जान खतरे में डाल दी गई है। सड़क की हालत देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि मरम्मत कार्य की गुणवत्ता क्या है?
एनएचएआई की चुप्पी सवालों के घेरे में
कई करोड़ की लागत से बनी सड़क इतनी जल्दी कैसे उधड़गई? क्या ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से यह सब हो रहा है? क्यों नहीं हो रही जिम्मेदारों पर कार्रवाई? दुर्घटना के लिए जिम्मेदार कौन होगा विभाग, ठेकेदार या प्रशासन ? एनएचएआई से जवाबदेही तय करने की मांग उठ रही है जबकि एनएचएआईसड़क की दुर्दशा पर चुप्पी साधे हुए हैं। अब सवाल ये है कि क्या संबंधित विभाग और ठेकेदारों पर कोई कार्यवाही होगी? या फिर किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जा रहा है? नेशनल हाईवे पर घटिया निर्माण कार्य न केवल भ्रष्टाचार की बू दे रहा है बल्कि लोगों की जान से भी खिलवाड़ कर रहा है।