
विकास जैन
पिछली कांग्रेस सरकार की सबसे प्रमुख योजनाओं में से एक मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना पर चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने पदभार संभालते ही सख्ती दिखाना शुरू कर दिया है। पिछले सप्ताह विभाग के शीर्ष अधिकारियों की छह घंटे तक चली बैठक में उन्होंने एक अधिकारी को चिरंजीवी और आयुष्मान बीमा योजना में अंतर बताने को कहा। सूत्रों के अनुसार अधिकारी ने चिरंजीवी बीमा 25 लाख का बताया तो मंत्री के तेवर तीखे हो गए।
उन्होंने कहा कि आप बताइए कि चिरंजीवी में अब तक 5 लाख से ज्यादा राशि का लाभ कितने मरीजों को दिया गया? मंत्री के तेवर देखने के बाद विभाग में अब चर्चा है कि आगामी सत्र में राज्य सरकार मुख्यमंत्री चिरंजीवी शब्द हटाकर इसे सिर्फ आयुष्मान बीमा योजना के नाम से जारी रख सकती है। मंत्री ने एक दिन पहले जोधपुर में अस्पताल का निरीक्षण करने के दौरान भी कांग्रेस सरकार की चिरंजीवी योजना को फर्जी और बोगस करार दिया था। उन्होंने कहा था कि 25 लाख तो छोड़ो, इस योजना में साढ़े 8 लाख रुपए से ज्यादा किसी का भी इलाज नहीं हुआ है। उन्होंने यह संकेत भी दिए कि आयुष्मान में ही इसके सारे दूसरे लाभ जोड़कर इसे एक रूप में ही चलाया जाएगा।
अभी इस तरह चल रही योजना
पूर्ववर्ती सरकार ने केन्द्र के साथ हुए समझाते के तहत आयुष्मान और चिरंजीवी योजना का एकीकरण किया था और इसका नाम आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना रखा था। अभी योजना के तहत चयनित परिवारों की प्रीमियम राशि केन्द्र सरकार से ही राज्य को मिलती है। राज्य सरकार के सामने बड़ी चुनौती यह है कि वह किस तरह मौजूदा योजना के सभी फायदों को बरकरार रखते हुए इसका नाम सिर्फ आयुष्मान तक सीमित रखे। यदि वह नाम बदलकर सिर्फ आयुष्मान करती है तो उस पर कांग्रेस की बड़ी योजना का नाम बदलने का आरोप लगेगा।
जानकारी के मुताबिक अब राज्य और केन्द्र सरकार के बीच इस योजना के पुनर्गठन को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को आयुष्मान का पैकेज बढ़ाने की सलाह दे चुके हैं। वहीं चिकित्सा मंत्री भी दिल्ली जाकर आयुष्मान और चिरंजीवी बीमा योजना पर केन्द्रीय मंत्री से चर्चा करने की तैयारी कर रहे हैं।
Published on:
17 Jan 2024 11:23 am
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