सूत्रों ने बताया कि पर्यावरण सहमति के लिए एक साल के तीनों मौसम में वायु, जल, मिट्टी, ध्वनि प्रदूषण की रिपोर्ट लेनी होती है। इस रिपोर्ट के आधार पर खान में खनन के पहले और बाद में प्रदूषण का अंदाजा लगाया जाता है। एेसे में तीनों मौसम का डाटाबेस तैयार करने में एक साल का समय चाहिए। एनजीटी द्वारा जारी आदेश के बाद गर्मी के मौसम का डाटाबेस तो तैयार हो गया, लेकिन बरसात व सर्दी का डाटाबेस तैयार नहीं हो पाया।