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खान मालिकों को छह माह की राहत

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण नई दिल्ली की फुल बैंच ने बुधवार को खान मालिकों के हित में फैसला सुनाकर खान संचालन के लिए पर्यावरण सहमति लेने की अवधि छह माह बढ़ा दी है। 

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Moti ram

Jul 16, 2015

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण नई दिल्ली की फुल बैंच ने बुधवार को खान मालिकों के हित में फैसला सुनाकर खान संचालन के लिए पर्यावरण सहमति लेने की अवधि छह माह बढ़ा दी है।

इससे अब खान मालिकों को वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से पर्यावरण सहमति लेने के लिए छह माह का समय और मिल गया। गौरतलब है कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण नई दिल्ली ने 12 जनवरी 2015 को एक आदेश जारी किया था कि छह माह की अवधि में सभी खान मालिकों को मंत्रालय से पर्यावरण सहमति लेना अनिवार्य है। इस तिथि के बाद अगर किसी ने पर्यावरण सहमति नहीं ली तो वह खनन पट्टाधारी खान का संचालन नहीं कर सकेगा।

यह थी परेशानी
सूत्रों ने बताया कि पर्यावरण सहमति के लिए एक साल के तीनों मौसम में वायु, जल, मिट्टी, ध्वनि प्रदूषण की रिपोर्ट लेनी होती है। इस रिपोर्ट के आधार पर खान में खनन के पहले और बाद में प्रदूषण का अंदाजा लगाया जाता है। एेसे में तीनों मौसम का डाटाबेस तैयार करने में एक साल का समय चाहिए। एनजीटी द्वारा जारी आदेश के बाद गर्मी के मौसम का डाटाबेस तो तैयार हो गया, लेकिन बरसात व सर्दी का डाटाबेस तैयार नहीं हो पाया।

दो हजार को मिली सहमति
प्रदेश में करीब 54 हजार छोटी-बड़ी खाने हैं। इनमें से करीब सात हजार खान मालिकों ने एनजीटी द्वारा जारी आदेश के पूर्व ही पर्यावरण सहमति के लिए वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नई दिल्ली में फाइलें लगा रखी थी। इसमें से मात्र दो हजार खान मालिकों को अब तक मंत्रालय से पर्यावरण सहमति मिली है।

पर्यावरण सहमति की अवधि बढ़ाने के लिए विभाग ने एनजीटी फुल बैंच में रिव्यू पीटिशन लगा रखी थी। इसकी 15 जुलाई को हुई सुनवाई में विभाग की परेशानी देखते हुए खान मालिकों को पर्यावरण सहमति की अवधि छह माह बढ़ा दी है।
डी.पी. गौड़, खनि अधीक्षण अभियंता, खान एवं भू विज्ञान विभाग, कोटा

खान एवं भू विज्ञान विभाग ने लगाई रिव्यू पीटिशन
इस मामले में खान एवं भू विज्ञान विभाग ने एनजीटी में रिव्यू पीटिशन लगाई थी। वहां से नौ जुलाई को पीटिशन खारिज होने पर विभाग ने सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी फुल बैंच में पीटिशन लगाई। मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 20 अगस्त व एनजीटी फुल बैंच ने 15 जुलाई की तारीख निर्धारित की थी। 15 जुलाई बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान एनजीटी फुल बैंच ने विभाग की समस्या को गंभीर मानते हुए पर्यावरण सहमति की अवधि 12 जुलाई 2015 से छह माह और बढ़ाने के आदेश दिए हैं।